यम दीप दान मंत्र | Yamadeepdaan Mantra

 Yam Diya Mantra  | यम दिया मंत्र


धनतेरस के दिन सूर्सास्त के बाद शाम को ही यमराज के निमित्त दीपक जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि दीपदान से यमदेव प्रसन्न होते है और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा करते है.

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि शुरू- 10 नवंबर 2023, दोपहर 12.35 कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त - 11 नवंबर 2023, दोपहर 01.57

    यम दीपम समय - शाम 05.30 - शाम 06.49
    अवधि - 1 घंटा 19 मिनट


धनतेरस पर यम दीपम की विधि (Dhanteras Yam Deepak Vidhi)

धनतेरस की शाम घर के बाहर 13 दीपक जलाए इन्हें मुख्य द्वार पर रखें. वहीं एक पुराना मिट्टी के दीपक में चार बाती लगा लें और इसे सरसों के तेल से प्रज्वलित करें. . अब घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके इस दीपक को जलाएं और मंत्र उच्चारण करते हुए इसे रखें.
Yam Deep Daan Mantra
| यम दिया मंत्र

यमराज का दीप जलाते समय ये मंत्र बोलें - मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।’


कहते हैं इससे अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है और नर्क की यात्नाएं नहीं सहेनी पड़ती.

  यम दिया कथा  | Yam Diya Katha

पौराणिक कथा के अनुसार किसी राज्य में हेम नामक राजा था, ईश्वर की कृपा से उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ. बेटे की कुंडली में लिखा था कि शादी के चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी. ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह भेज दिया, जहां किसी लड़की की परछाई भी उस पर न पड़े लेकिन वहां उन्होंने एक राजकुमारी से विवाह कर लिया. रीति के अनुसार विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आ गए.

राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी और दूतों से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय जाना. दूतों ने ये सारी बातें यमराज को बताई. यमराज ने बताया कि मृत्यु अटल है लेकिन धनतेरस के दिन यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जो व्यक्ति दीप प्रज्वलित करेगा वह अकाल मृत्यु से बच सकता है.इसी कारण से हर साल धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की परंपरा है.

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