कृष्ण सदा सहायते in Sanskrit | Krishna Sada Sahayte
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने श्लोक अर्थ | Krishna Sada Sahayte Meaning
"कृष्ण सदा सहायते" यह श्लोक भगवद गीता के अध्याय 18, श्लोक 66 में मिलता है। यह श्लोक अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा किए गए संवाद का हिस्सा है और यह श्लोक अर्जुन के संदेह और उदासीनता को दूर करने के लिए भगवान की आशीर्वाद का प्रतीक है। इस श्लोक का संस्कृत में पाठ निम्नलिखित है:
भय को नष्ट करने का मंत्र| Mantra to Overcome Fear
ऊँ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
अर्थः श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि परमात्मा, गोविंदा को नमस्कार, हम अपने सभी दुखों के विनाश के लिए आपको बार-बार नमस्कार करते हैं।
संस्कृत से हिंदी अर्थ:
कृष्णाय – कृष्ण को;
वासुदेवाय - वासुदेव के पुत्र;
हरये - परम भगवान, हरि;
परम-आत्मने - सर्वोच्च भगवान, आत्मा;
प्रणत - समर्पण करने वालों का;
क्लेसा – संकट का;
नासय – विध्वंसक को;
गोविंदाय - गोविंदा को;
नमो नमः - बारंबार प्रणाम;
दो बार दोहराया गया नमः शब्द उसके प्रति हमारे पूर्ण समर्पण को दर्शाता है।
हम वासुदेव के पुत्र, भगवान कृष्ण, हरि को बार-बार नमस्कार करते हैं। वह परम आत्मा (परमात्मा), गोविंद उन सभी के दुखों को नष्ट कर देते हैं, जो उनके प्रति समर्पण करते हैं।.