Choti Diwali Ki Katha | छोटी दिवाली की कथा
नरक चतुर्दशी, भारतीय हिन्दू पर्वों में से एक है जो दीपावली के पहले दिन मनाया जाता है। इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी का उत्सव हिन्दी पंचांग के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मिलती है।
इस दिन भगवान कृष्ण ने देवताओं और देवी यमुना को मुक्त करने के लिए नरकासुर को मारकर मिथिला में पथिवी पर स्थापित हुए थे। इस दिन को यम द्वितीया, चोटी दीपावली, रोजचे दीपावली और छोटी दीपावली भी कहा जाता है।
लोग इस दिन स्नान करते हैं और दियों, फूलों, देवी-देवताओं की मूर्तियों और यमराज की मूर्ति की पूजा करते हैं। यह एक पर्वीय दिन है और लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं भेजते हैं। इस दिन के विशेष भोजन में नारियल और गुड़ शामिल होते हैं। लोग मिठाईयां बनाते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ साझा करते हैं।
छोटी दीपावली के दिन लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे पतंगों, रंगोलियों, फूलों, दीपों, और शुभकामना कार्डों से सजाते हैं। इस दिन का उत्सव भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है, और लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं भेजते हैं। यह एक परिवारी और सामाजिक उत्सव है, जिसमें सजीवता, समृद्धि, और खुशियां साझा की जाती हैं।
छोटी दिवाली शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि आरंभ - 11 नवंबर 2023 - 01:57 से
चतुर्दशी तिथि समापन- 12 नवंबर 2023 - 02:27 तक
छोटी दिवाली अनुष्ठान
इस दिन भगवान कृष्ण, मां काली, यम और हनुमान की पूजा की जाती है। ऐसा मान्यता है कि उनकी पूजा करने से साधक अपने पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं और एक व्यक्ति के रूप में सुधार कर सकते हैं।
इस दिन, अभ्यंग स्नान भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे लोगों को नरक दर्शन से मुक्ति मिलती है। इस शुभ दिन पर तेल और हर्बल पेस्ट लगाना अशुद्धियों की सफाई का प्रतिनिधित्व करता है।
नरक चतुर्दशी कथा | Narak Chaturdashi Katha
Narak chaudas ki katha
नरक चतुर्दशी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ राक्षस नरकासुर का वध किया और 16000 गोपियों को बचाया था। तभी से भक्त इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण की पूजा- अर्चना करते हैं। नरक चतुर्दशी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कुछ क्षेत्रों में इस दिन को काली चौदस के रूप में भी मनाया जाता है। नरकासुर के वध के साथ ही उसके आतंक का भी अंत हुआ इस खुशी में लोगों ने दीये जलाए। मान्यता है कि दीये जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा का दमन होता है। इस कारण इस दिन दीये जलाए जाते हैं और यह दिन नरक चतुर्दशी के साथ ही साथ छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है।