गौ माता के श्लोक | Gau Mata ke Shloka

 गौ माता के श्लोक | Gau Mata ke Shloka


गोपाष्टमी पर करें इस मंत्र का जाप (Gopashtami Puja Mantra)

सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता ।

सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस ।।

तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते ।

मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी ।। 

 

  गोपाष्टमी पूजन मंत्र | Gau Asthami Pujan Mantra

लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
घृतक्षीरप्रदा गावो घृतयोन्यो घृतोद्भवाः।
घृतनद्यो घृतावर्तास्ता मे सन्तु सदा गृहे॥
घृतं मे हृदये नित्यं घृतं नाभ्यां प्रतिष्ठितम्।
घृतं सर्वेषु गात्रेषु घृतं मे मनसि स्थितम्॥
गावो ममाग्रतो नित्यं गावः पृष्ठत एव च।
गावो मे सर्वतश्चैव गवां मध्ये वसाम्यहम्॥
सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः।
गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्॥ 

 
गौमता जी की आरती| Gau Mata Aarti

 धूप दीप आदि के साथ करें इससे गौ माता की आरती-

आरती श्री गौमता जी की आरती श्री गैय्या मैंय्या की।
आरती हरनि विश्‍व धैय्या की।।
अर्थकाम सुद्धर्म प्रदायिनि अविचल अमल मुक्तिपददायिनि।
सुर मानव सौभाग्यविधायिनि, प्यारी पूज्य नंद छैय्या।।
अख़िल विश्‍व प्रतिपालिनी माता, मधुर अमिय दुग्धान्न प्रदाता।
रोग शोक संकट परित्राता भवसागर हित दृढ़ नैय्या की।।
आयु ओज आरोग्यविकाशिनि, दुख दैन्य दारिद्रय विनाशिनि।
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनि, विमल विवेक बुद्धि दैय्या की।।
सेवक जो चाहे दुखदाई, सम पय सुधा पियावति माई।
शत्रु मित्र सबको दुखदायी, स्नेह स्वभाव विश्‍व जैय्या की।। 

 

 गौमाता की दैनिक प्रार्थना का मन्त्र (महर्षि वसिष्ठ द्वारा उपदिष्ट) –

सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः।
गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्॥
अनुवाद - प्रतिदिन यह प्रार्थना करनी चाहिये कि सुन्दर एवं अनेक प्रकार के रूप-रंग वाली विश्वरूपिणी गोमाताएं सदा मेरे निकट आयें

गोमाता को परमात्मा का साक्षात् विग्रह जान कर उनको प्रणाम करने
का मन्त्र (महर्षि वसिष्ठ द्वारा उपदिष्ट)


यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥

अनुवाद -जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं॥
गौ माता 

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