नहाय खाय छठ पूजा 2023 | Nahay Khay Chhath Puja 2023

 नहाय खाय छठ पूजा 2023 | Nahay Khay Chhath Puja 2023

 

 छठ पूजा कैसे मनाया जाता है

छठ पूजा, भारत के उत्तर भारतीय राज्यों में मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है, जो सूर्य भगवान (सूर्य देव) की पूजा के लिए आयोजित की जाती है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, वर्षा, नेपाल, और बंगलादेश में मनाया जाता है और छठ पूजा के अवसर पर लोग विशेष रूप से नदियों, झीलों, और किनारों पर जाकर इसका आयोजन करते हैं।

छठ पूजा के दौरान, सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य देने के बाद, लोग अपने घरों में और जल स्रोतों के पास जाकर व्रत रखते हैं। वे खास प्रकार के पर्वी खाने बनाते हैं, जिनमें गुढ़, चावल, और लोगों की पसंदीदा व्यंजन शामिल होते हैं। इसके बाद, सूर्यास्त के समय उन्होंने अपनी पूजा के उपायों को पूरा किया और अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव की आराधना करना है, जिन्हें जीवन की शक्ति, स्वास्थ्य, और सौभाग्य के प्रतीक माना जाता है। यह पर्व सफाई, पवित्रता, और श्रद्धा का परिचय करता है और लोग इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं।

छठ पूजा के दौरान, लोग विशेषकर नारियों के बीच इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं, जो समाज में आदर्श मातृता का प्रतीक होती हैं और इसे संतान सुख के लिए जरूरी मानती हैं। इस पर्व के माध्यम से, सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ, लोग एक सामाजिक समृद्धि और आदर्श जीवन की ओर अग्रसर होते हैं।

  छठ पूजा कब है

छठ की महत्वपूर्ण तिथियां (Chhath Puja 2023 Date)

    पहला दिन नहाय-खाय (Chhath Puja 2023 1st Day):  शुक्रवार 17 नवंबर 2023
    दूसरा दिन खरना (Chhath Puja 2023 2nd Day): शनिवार18 नवंबर 2023
    तीसरा दिन संध्याकालीन या अस्तचलगामी सूर्य अर्घ्य (Chhath Puja 2023 3rd Day):  रविवार 19 नवंबर 2023
    चौथा दिन उषा या उदीयमान सूर्य अर्घ्य (Chhath Puja 2023 4th Day):  सोमवार 20 नवंबर 2023

 

छठ पर्व  नहाय खाय कब

छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. इसलिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस साल छठ व्रत का नहाय-खाय शुक्रवार, 17 नवंबर 2023 को है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर नए वस्त्र पहने जाते हैं. यदि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना किसी कारण संभव न हो तो व्रती को नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए.
छठ पर्व में नहाय खाय का प्रसाद

छठ माहपर्व में प्रसाद का अपना ही महत्व है, जो अन्य पूजा-पाठ से अलग होता है. फिर चाहे कद्दू की सब्जी हो, खरना का खीर हो या ठेकुआ का प्रसाद. बात करें नहाय के दिन की तो, नहाय खाय के दिन चना दाल और कद्दू की सब्जी के साथ चावल का प्रसाद बनाया जाता है. इस प्रसाद को शुद्ध व सात्विक रूप से चूल्हे पर तैयार किया जाता है. इसे सबसे पहले व्रती ग्रहण करती है. बाद में परिवार के बाकी सदस्य इसे प्रसाद के रूप में खाते हैं. इस दिन व्रती केवल एक समय ही भोजन करती है.

छठ पूजा की कहानी
 

 कौन हैं छठी मइया?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया को सूर्य देव की बहन और ब्रह्म देव की मानस पुत्री माना जाता है. इनका नाम षष्ठी मैया है, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में छठी मइया या छठी मैय्या कहते हैं. छठ पूजा में सूर्य देव के साथ इस देवी का पूजन करते हैं. एक प्रकार से सूर्य देव और छठी मैय्या भाई बहन हुए.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की तो उन्होंने अपने शरीर से के दो हिस्से किए. दायां भाग पुरुष और बायां भाग प्रकृति. प्रकृति के छठे भाग से षष्ठी देवी की उत्पत्ति हुई है, इनको देवसेना भी कहा जाता है. जो व्यक्ति षष्ठी देवी की पूजा करता है, उसके मन की मुराद अवश्य पूरी होती है.

छठ पूजा व्रत कथा  |Chhath Puja Vrat Katha


एक समय की बात है. एक राजा प्रियंवद थे, जिनकी पत्नी का नाम मालिनी था. विवाह के काफी वर्ष बीतने के बाद भी उनको कोई संतान नहीं हुई. तब उन्होंने कश्यप ऋषि से इसका समाधान पूछा तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने का सुझाव दिया. कश्यप ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया और राजा की पत्नी मालिनी को प्रसाद स्वरूप खीर खाने को दिया.

उसके प्रभाव से रानी गर्भवती हो गईं, जिससे राजा प्रियंवद बड़े खुश हुए. कुछ समय बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह भी मृत पैदा हुआ. यह खबर सुनकर राजा बहुत दुखी हो गए. वे पुत्र के शव को लेकर श्मशान गए और इस दुख के कारण अपना भी प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया.

जब वे अपना प्राण त्यागने जा रहे थे, तभी देवी देवसेना प्रकट हुईं. उन्होंने राजा प्रियंवद से कहा कि उनका नाम षष्ठी है. हे राजन! तुम मेरी पूजा करो और दूसरों लोगों को भी मेरी पूजा करने को कहो. लोगों को इसके लिए प्रेरित करो.

देवी देवसेना की आज्ञानुसार राजा प्रियंवद ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की. उन्होंने यह पूजा पुत्र प्राप्ति का कामना से की थी. छठी मैय्या के शुभ आशीर्वाद से राजा प्रियंवद को पुत्र की प्राप्ति हुई. तब से हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ पूजा की जाने लगी.

जो व्यक्ति जिस मनोकामना के साथ छठ पूजा का व्रत रखता है और उसे विधि विधान से पूरा करता है, छठी मैय्या के आशीष से उसकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है. लोग पुत्र प्राप्ति और संतान के सुख जीवन के लिए यह व्रत रखते हैं.


छठ पूजा गीत |  Chhath Puja   Geet

  1.     कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए लिरिक्स
  2.     उगा है सूरज देव लिरिक्स
  3.     सोना सट कुनिया हो दीनानाथ लिरिक्स
  4.     बेरिया के बेरी तोहे लिरिक्स
  5.     केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके लिरिक्स

कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए लिरिक्स

कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ॥

होई ना बलम जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाए,
बहंगी घाटे पहुंचाए ॥

कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ॥

बाटे जे पुछेला बटोहिया
बहंगी केकरा के जाए,
बहंगी केकरा के जाए ॥

तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया,
बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए ॥

ऊंहवे जे बारी छठी मैया,
बहंगी उनके के जाए,
बहंगी उनके के जाए ॥

कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ॥

होई ना देवर जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाए,
बहंगी घाटे पहुंचाए ॥

ऊंहवे जे बारी छठी मैया,
बहंगी उनके के जाए,
बहंगी उनके के जाए ॥

बाटे जे पुछेला बटोहिया,
बहंगी केकरा के जाए,
बहंगी केकरा के जाए ॥

तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया,
बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए ॥

ऊंहवे जे बारी छठी मैया,
बहंगी उनके के जाए,
बहंगी उनके के जाए ॥




उगा है सूरज देव लिरिक्स

उगा है सूरज देव
भेल भिनसरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥

बड़की पुकारे देव
दुनु कर जोरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥

बाझिन पुकारें देव
दुनु कर जोरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥

अन्हरा पुकारे देव
दुनु कर जोरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥

निर्धन पुकारे देव
दुनु कर जोरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥

कोढ़िया पुकारे देव
दुनु कर जोरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥

लंगड़ा पुकारे देव
दुनु कर जोरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥

उगा है सूरज देव
भेल भिनसरवा,
अरघ केरे बेरवा
पूजन केरे बेरवा हो ॥






सोना सट कुनिया हो दीनानाथ लिरिक्स

सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ
हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार ॥

सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ
हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार ॥

आन दिन उगइछ हो दीनानाथ
आहे भोर भिनसार, आहे भोर भिनसार ॥

आजू के दिनवा हो दीनानाथ
हे लागल एती बेर, हे लागल एती बेर ॥

बाट में भेटिए गेल गे अबला
एकटा अन्हरा पुरुष, एकटा अन्हरा पुरुष ॥

अंखिया दियेते गे अबला
हे लागल एती बेर, हे लागल एती बेर ॥

बाट में भेटिए गेल गे अबला
एकटा बाझिनिया, एकटा बाझिनिया ॥

बालक दियत गेल गे अबला
हे लागल एती बेर, हे लागल एती बेर ॥




बेरिया के बेरी तोहे लिरिक्स

बेरिया के बेरी तोहे बिलई छठी मईया,
रजिया के सधिया पुरावा नु हो,
हाथ जोड़ी पाँव लागी तोहरो आदित मल,
अरघ के हमरे फलावा नु हो,
रजिया के सधिया पुरावा नु हो ॥

गोड़वा खड़ाऊ तोहरे मथवा चन्दनवा,
सातो घोड़ा चढ़ी आवा हमरे अंगनवा,
सासु ननदिया जेठनिया के ताना से,
बाँझिन के नउवा छोड़ावा नु हो,
रजिया के सधिया पुरावा नु हो ॥

कलसूप पुरईन अमरुद छतवा,
रउवा के चढ़ाई मईया मांगी पांच पुतवा,
चन्दन लकड़िया के घिउवा में बोरी बोरी,
अरघ के बेदिया बनाई नु हो,
रजिया के सधिया पुरावा नु हो ॥

सासु जी के नाती दिहा ननदि विरनवा,
कोखिया के भरी मोर पुरईहा सपनवा,
सेनूरा करे के आगे लिखिया हे मांगी मईया,
वर देत मत सकुचावा नु हो,
सिरधिया के सधिया पुरावा नु हो,
सिरधिया के सधिया पुरावा नु हो,
सिरधिया के सधिया पुरावा नु हो ॥




केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके लिरिक्स

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके,
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके ॥

हम तोसे पूछी बरतिया ऐ बरितया से केकरा लागी,
हम तोसे पूछी बरतिया ऐ बरितया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी  ॥

हमरो जे बेटवा कवन ऐसन बेटवा से उनके लागी,
हमरो जे बेटवा कवन ऐसन बेटवा से उनके लागी,
हे करेली छठ बरतिया से उनके लागी,
हे करेली छठ बरतिया से उनके लागी ॥

अमरुदिया के पात पर उगेलन सुरूज मल झांके झुके,
अमरुदिया के पात पर उगेलन सुरूज मल झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके ॥

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरितिया से केकरा लागी,
हम तोसे पूछी बरतिया ए बरितिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी ॥

हमरो जे स्वामी कवन एसन स्वामी से उनके लागी,
हमरो जे स्वामी पवन एसन स्वामी से उनके लागी,
ए करेली छठ बरतिया से उनके लागी,
ए करेली छठ बरतिया से उनके लागी ॥

नारियर के पात पर उगेलन सुरूजमल झांके झूके,
नारियर के पात पर उगेलन सुरूजमल झांके झूके,
ए करेलू छठ बरतिया से झांके झूके,
ए करेलू छठ बरतिया से झांके झूके ॥

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरतिया से केकरा लागी,
हम तोसे पूछी बरतिया ए बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी ॥

हमरो जे बेटी कवन ऐसन बेटिया से उनके लागी,
हमरो जे बेटी कवन ऐसन बेटिया से उनके लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से उनके लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से उनके लागी ॥


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