राधा अष्टमी पूजा विधि | Radha Asthami Puja Vidhi
राधा अष्टमी पूजा विधि | Radha Asthami Puja Vidhi
राधा अष्टमी पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पूजा है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है, खासकर बृजभूमि में। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की प्राधा जी की पूजा और उनके प्रेम भाव को मन में स्थापित करना है। निम्नलिखित है राधा अष्टमी पूजा की विधि:
सामग्री:
1. मूर्तियाँ: श्रीकृष्ण और राधा की मूर्तियाँ
2. पूजा सामग्री: अगरबत्ती, दीपक, धूप, अखंड दिया, सुगंध, कपूर, घी, बत्ती, इलायची, लौंग, सुपारी, सिन्दूर, चौक, कलश, पुष्प, अपराजिता पुष्प, तिल, गुड़, दूध, घी, पंचामृत, फल, नया पैना, चौकी, आसन, थाली, कटोरी
3. पूजा वस्त्र: राधा की वस्त्र
4. जाप माला: कृष्ण मंत्रों के जाप के लिए
पूजा विधि:
1. पूजा स्थल को शुद्ध करें और वायुमंडल को पवित्र धूप और अगरबत्ती से अच्छेदित करें।
2. अपनी मन्यता के अनुसार श्रीकृष्ण और राधा की मूर्तियों को स्थापित करें।
3. मूर्तियों को सुन्दरता से सजाएं, उन्हें वस्त्र से ढक दें, आभूषण पहनाएं, और उन्हें गुड़ और घी के बदल में चढ़ाएं।
4. फिर, दीपक और अगरबत्ती को जलाएं।
5. मूर्तियों की पूजा करने के लिए पुष्प, धूप, दिया, और अर्चना के सामग्री का उपयोग करें।
6. राधा की पूजा के दौरान राधास्तमी की कथा और कविता पढ़ें।
7. अखंड दिया और पंचामृत का अभिषेक करें।
8. पूजा के बाद, प्रसाद के रूप में फल, मिष्ठान, और नया पैना राधा और कृष्ण को अर्पित करें।
9. पूजा के बाद, राधा और कृष्ण का आशीर्वाद मांगें और अपनी इच्छाओं को मन में धारण करें।
10. आखिर में, आरती गाकर पूजा समाप्त करें।
राधा अष्टमी पूजा को विशेष भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाएं और भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करें।
राधा अष्टमी कब है 2023| Radha Asthami Kab Hai 2023
पंचांग के अनुसार, राधा अष्टमी 2023 तिथि और पूजा मुहूर्त:
राधा अष्टमी तिथि: 23 सितंबर 2023
- अष्टमी तिथि शुरुआत: 22 सितंबर 2023, दोपहर 01:35 बजकर
- अष्टमी तिथि समापन: 23 सितंबर 2023, दोपहर 12:17 बजकर
राधा अष्टमी पूजा मुहूर्त: 23 सितंबर 2023
- पूजा मुहूर्त शुरुआत: सुबह 11:01 बजकर
- पूजा मुहूर्त समापन: दोपहर 01:26 बजकर
इस अवसर पर, आप राधा अष्टमी की पूजा और व्रत को इस मुहूर्त में मना सकते हैं। इस पवित्र दिन पर राधा और कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा का अभिवादन करें।
राधा अष्टमी 2023 का महत्व:| Radha Asthami 2023 Importance
राधा अष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण और पावन अवसर है। इस दिन का महत्व श्रीकृष्ण और राधा रानी के अनुत्तान भाव और दिव्य प्रेम को मान्यता देता है, जो हिन्दू धर्म में भगवान के प्रेम और भक्ति के महत्वपूर्ण पहलु को प्रकट करता है।
राधा रानी को श्रीकृष्ण के परम प्रिय स्वरूप के रूप में माना जाता है, और उनके बिना भगवान श्रीकृष्ण का जीवन अधूरा माना जाता है। इसलिए, राधा अष्टमी का आयोजन भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
राधा अष्टमी के दिन भक्त राधा रानी की पूजा करके उनके प्रेम और भक्ति में रूचि बढ़ाते हैं और अपने जीवन में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह दिन भक्तों के लिए आत्मा के आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति पूर्वानुराग का प्रतीक होता है।
राधा अष्टमी के उपवास और पूजन से भक्त अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, राधा अष्टमी का महत्व भक्तों के लिए अत्यधिक गौरवशाली है, और यह एक दिव्य और पावन अवसर है जो भगवान के प्रेम और भक्ति के महत्वपूर्ण पहलु को मान्यता देता है।
Radha Ashtami Vrat Katha |राधा अष्टमी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब माता राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर गई थीं, तभी भगवान श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। जब राधा ने यह सब देखा तो नाराज हो गईं और विरजा का अपमान कर दिया। आहत विरजा नदी बनकर बहने लगी। राधा के व्यवहार पर श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को गुस्सा आ गया और वह राधा से नाराज हो गए। सुदामा के इस तरह के व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गईं और उन्होंने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया। इसके बाद सुदामा ने भी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। राधा के श्राप की वजह से सुदामा शंखचूड़ नामक दानव बने, बाद में इसका वध भगवान शिव ने किया। वहीं सुदामा के दिए गए श्राप की वजह से राधा जी मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर आईं और उन्हें भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा।
कुछ पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म लिया, ठीक उसी तरह उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रूप में पृथ्वी पर आई थीं। ब्रह्म वैवर्त पुराण की मानें तो राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थीं और उनका विवाह रापाण या रायाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था।
राधा अष्टमी का व्रत करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
व्रत की विधि:
1. व्रत की तैयारी: सबसे पहले, अपने व्रत की तैयारी करें। यह शाम के समय या अष्टमी के पूर्व दिन से शुरू कर सकते हैं। व्रत की तैयारी में व्रत की कहानी की किताब और सामग्री को सजाने में मदद मिलेगी।
2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को शुद्ध और पवित्र बनाएं। एक चौकी या आसन पर राधा और कृष्ण की मूर्तियों को स्थापित करें।
3. पूजा की विधि: पूजा की शुरुआत व्रती को नियमित तरीके से स्नान करके करें। फिर दीपक, धूप, अगरबत्ती को जलाकर पूजा की शुरुआत करें।
4. मंत्र जप: राधा और कृष्ण के मंत्रों का जप करें और उन्हें भक्ति भाव से स्मरण करें।
5. पूजा का आदरणीय: राधा और कृष्ण की मूर्तियों को पुष्प, धूप, दिया, और अर्चना के सामग्री से पूजें।
6. व्रत कथा का पाठ: व्रत के दौरान राधा अष्टमी की कथा को पढ़ें या सुनें।
7. व्रती भोजन: व्रत के दिन नियमित तरीके से व्रती भोजन करें, जिसमें सात्विक आहार शामिल हो सकता है जैसे कि फल, दूध, दही, व्रत के चावल, और खीर।
8. व्रत का उपवास: व्रत के दिन उपवास करें, अर्थात् व्रती ने खाने-पीने में परहेज रखना है। व्रत के समय कारण का आदरणीय उद्देश्य को याद रखें।
9. पूजा का समापन: पूजा के बाद, आरती गाकर पूजा को समाप्त करें। राधा और कृष्ण का आशीर्वाद मांगें और उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा का अभिवादन करें।
10. व्रत का विसर्जन: व्रत के दिन भगवान का ध्यान करते हुए व्रत को समाप्त करें, और ध्यान में राधा और कृ
राधा अष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए | Radha AsthamiVrat Kab Kholna Chaiye
राधा अष्टमी के दिन यह महत्वपूर्ण है कि आप निम्नलिखित नियमों का पालन करें:
1. सुबह का सेवन: राधा अष्टमी के दिन सुबह में जूस, फल, या सुगंधित खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। इससे आपका उपवास अधिक सात्विक रहेगा और आपको ऊर्जा मिलेगी।
2. पूजा संपन्न होने के बाद: पूजा समापन होने के बाद ही आप सेंधा नमक के साथ फलाहार का सेवन करें। यह नियम पूजा के दौरान व्रत का पालन करने के बाद आहार का सेवन करने के उपयुक्त समय की उन्नति करेगा।
3. अन्न का सेवन: व्रत के पारण के बाद ही अन्न का सेवन करें। व्रत में किसी भी प्रकार के अन्न का सेवन नहीं करें, क्योंकि यह व्रत का आदरणीय उद्देश्य को खत्म कर सकता है।
यदि आप इन नियमों का पालन करें, तो आपका राधा अष्टमी व्रत सात्विक और ध्यानिक बना रहेगा, जो आपके भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करेगा।
राधा अष्टमी व्रत में क्या खाना चाहिए | Radha Asthamivrat main Kya Khana Chahiye
राधा अष्टमी के दिन याद रखें कि आप सुबह में जूस या फल आदि का सेवन कर सकते हैं। लेकिन पूजा को सम्पन्न करने के बाद ही फलाहार को सेंधा नमक (rock salt) के साथ खाना चाहिए। और फिर, राधा अष्टमी व्रत के समापन के समय के बाद ही आप मुख्य भोजन कर सकते हैं। ध्यान दें कि व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के सामान्य खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।