गणपती स्थापना पूजा विधि | Ganpati Sthapana Puja Vidhi
गणपती स्थापना पूजा विधि | Ganpati Sthapana Puja Vidhi
गणपती स्थापना पूजा विधि का पालन करने के लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:
सामग्री:
1. गणेश मूर्ति (पारंपरिक या इलेक्ट्रॉनिक)
2. लाउण (पूजा की थाली)
3. फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, हल्दी, रूई, फल, नारियल, पान पत्ता, इलायची, सुपारी, बत्ती, नग, और घी
4. पूजा के लिए जगह जैसे कि आसन या चौकी
5. पानी बर्तन
6. व्रत का खाने का सामान (केला, मिष्ठान, पूरी, सिंधारा, गुड़)
पूजा विधि:
1. आगमन:
- पूजा की थाली (लाउण) पर गणपति मूर्ति को रखें।
- मूर्ति की प्रतिष्ठा के लिए आरती दें और धूप, दीपक, अगरबत्ती, और धूप दें।
2. शुद्धिकरण:
- हाथों को धोएं और उच्चरण के साथ जल स्नान करें।
3. स्थापना:
- गणपति मूर्ति को आसन पर स्थापित करें।
- मूर्ति के पूर्व दिशा में नारियल और सुपारी रखें।
4. पूजा:
- मूर्ति को कुमकुम और हल्दी लगाएं, फूल और पुष्पमाला से अलंकृत करें।
- मूर्ति को धूप, दीपक, और अगरबत्ती से आरती दें।
- देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मन्त्र जपें।
5. प्रसाद:
- गणपति को पूरी, केला, मिष्ठान, सिंधारा, और गुड़ के साथ प्रसाद चढ़ाएं।
6. विसर्जन:
- गणपति मूर्ति के विसर्जन का समय आगे के दिनों के लिए स्थानापित करें और उसे जल में बहाने के बाद मूर्ति को सम्पूर्ण आदर और भक्ति के साथ विसर्जित करें।
यह है गणपति स्थापना पूजा की सामान्य विधि। पूजा के दौरान ध्यान दें कि आप सभी पूजा सामग्री का सावधानी से उपयोग करें और पूजा का आदरपूर्वक पालन करें।
Ganesh Chaturthi 2023 Start and End date | गणेश चतुर्थी 2023 की शुरुआत और समापन तिथि:
- शुरुआत तिथि: 19 सितंबर 2023 (19th September 2023)
- समापन तिथि: 28 सितंबर 2023 (28th September 2023)
Vinayaka Chavithi Puja Time 2023 | विनायक चविती पूजा समय 2023:
विनायक चविती पूजा का मुहूर्त 2023 में हिन्दी पंचांग के अनुसार निम्नलिखित है:
पूजा का आरंभ: 18 सितंबर 2023, सोमवार, 12:39 PM पर
पूजा का समापन: 19 सितंबर 2023, मंगलवार, 8:43 PM पर
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त: 11:01 AM से 01:28 PM तक (इसकी अवधि 02 घंटे 27 मिनट होगी)
गणेश पूजा विधि मंत्र सहित | Ganpati Puja Vidhi Mantra Sahit
गणेश पूजा में गणेश मंत्र का जप करने से आपके पूजा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख गणेश मंत्र:
1. ॐ गं गणपतये नमः (Om Gam Ganapataye Namaha): यह मंत्र गणेश को प्राणान्तरित करने और ब्लेसिंग प्रदान करने के लिए उपयोगी है।
2. ॐ गण गणपतये नमः (Om Gan Ganapataye Namaha): यह मंत्र गणपति के आशीर्वाद के लिए जाना जाता है और विधि की सम्पन्नता के लिए उपयोगी है।
3. ॐ श्री गणेशाय नमः (Om Shri Ganeshaya Namaha): यह मंत्र गणेश के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करने के लिए उपयोगी है।
4. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ (Vakratunda Mahakaya Suryakoti Samaprabha।
Nirvighnam Kuru Me Deva Sarvakaryeshu Sarvada॥): यह मंत्र गणेश की प्रार्थना के लिए प्रसिद्ध है और बाधाओं को दूर करने के लिए उपयोगी है।
5. गणेश गायत्री मंत्र (Ganesh Gayatri Mantra): ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥ (Om Ekadantaya Vidmahe Vakratundaya Dhimahi।
Tanno Danti Prachodayat॥)
आप इन मंत्रों में से किसी एक का चयन करके गणेश पूजा के समय उच्चरण कर सकते हैं। मंत्रों का जाप श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, और गणपति आपकी मनोकामनाओं को पूरा करेंगे।
गणेश चतुर्थी का महत्व | Ganpati Chaturthi Importance
गणेश चतुर्थी, हिन्दू धर्म में भगवान गणेश के जन्म दिन के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार का महत्व निम्नलिखित कारणों से है:
भगवान गणेश की पूजा: गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। गणेश भगवान हिन्दू पंथ के प्रमुख देवता माने जाते हैं और उन्हें सभी पूजा-अर्चना की प्रारंभ में प्राप्त करना अच्छा माना जाता है।
आदर्श परम्परा: गणेश चतुर्थी त्योहार को आदर्श परम्परा का प्रतीक माना जाता है। इसमें परिवार के सभी सदस्य एक साथ आते हैं और गणेश मूर्ति की पूजा करते हैं, जिससे परिवार में एकता और प्यार बढ़ता है।
गणेश चतुर्थी कथा | Ganesh Chaturthi Katha
गणेश चतुर्थी व्रत कथा – एक बार महादेव जी भोगावती नदी पर स्नान करने गए उनके चले जाने के बाद पार्वती माता ने अपने तन की मेल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाले। उसका नाम ‘गणेश’ रखा। पार्वती माता ने उससे कहा कि एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ और जब तक मैं नहा रही हूं किसी को अंदर मत आने देना।
भोगावती पर से स्नान करने के बाद जब भगवान शिव जी आए तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक लिया शिवजी ने बहुत समझाया पर गणेश जी नहीं माने। इसको शिव जी ने अपना अपमान समझकर उस पर क्रोध किया और त्रिशूल से उसका सिर धड़ से अलग कर के भीतर चले गए। जब माता पार्वती को पता चला कि शिव जी ने गणेश जी का सिर काट दिया है तो वे बहुत कुपित हुई।
गणेश जी के मूर्छित होने से पार्वती माता अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने अन्न, जल का त्याग कर दिया। पार्वती जी की नाराजगी दूर करने के लिए शिव जी ने गणेश जी के हाथी का मस्तक लगाकर जीवनदान दिया। तब देवताओं ने गणेश जी को तमाम शक्तियां प्रदान की और प्रथम पूज्य बनाया। यह घटना भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुई थी इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व ‘गणेश चतुर्थी’ के रूप में मनाई जाती है।
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत पालन कर गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुनने अथवा पढ़ने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन मे कष्टों का निवारण होता है। गणेश चतुर्थी व्रत कथा व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली और जीवन में सुख समृद्धि लाने वाली बताई गई है।