रवि प्रदोष व्रत कथा | Ravi Pradosh Vrat Katha 2023
रवि प्रदोष व्रत कथा | Ravi Pradosh Vrat Katha 2023
एक गांव में एक अति दीन ब्राह्मण निवास करते थे। उनकी साध्वी पत्नी प्रदोष व्रत का पालन अच्छे से किया करती थी। उनके पास एक ही पुत्ररत्न था। एक दिन, वह पुत्र गंगा स्नान के लिए गया। दुर्भाग्यवश, उसे रास्ते में चोरों ने घेर लिया और उन्होंने उससे उसके पिता के गुप्त धन के बारे में बताने की धमकी दी।
बालक ने दीनभाव से कहा, "बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी और दीन हैं। हमारे पास धन कहाँ होगा?" चोरों ने तब पूछा, "तो तुम्हारे पास यह पोटली में क्या है?" बालक ने सीधे तौर पर कह दिया, "मेरी माँ ने मेरे लिए रोटियां दी हैं।"
यह सुनकर चोरों ने एक दूसरे से कहा, "यह बच्चा बहुत ही दीन-दु:खी लगता है। हमें उसका धन नहीं चाहिए।" इसके बाद वे बालक को छोड़कर चले गए।
बालक ने उनकी छोड़ने के बाद एक नगर में पहुंचा और एक बरगद के नीचे सो गया। उसी बरगद के वृक्ष के निचे उसको सिपाहियों ने पकड़ लिया और उसे चोर समझकर राजा के समक्ष पेश किया। राजा ने उसे बंदी बना दिया और उसे कारावास में भेज दिया।
ब्राह्मणी बालक को घर नहीं देखकर बेहद चिंतित हुईं। उन्होंने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से अपने पुत्र की कल्याण की प्रार्थना की। भगवान शंकर ने उनकी प्रार्थना सुनी और राजा के सपने में आकर उसे बताया कि उस बालक को छोड़ देना चाहिए, अन्यथा उनके राज्य में दुर्भाग्य होगा।
राजा ने सपने के आदेश के अनुसार बालक को मुक्त कर दिया। बालक अपनी पूरी कहानी राजा को सुनाई। राजा ने चोरों को ढूंढ़ने के लिए अपने सिपाहियों को भेजा और उसके माता-पिता को बुलवाया। उन्हें सच्चाई बताई गई और उन्हें ब्राह्मण को 5 गांव की भूमि दी गई, ताकि वे सुख-शांति से रह सकें। इस प्रकार, भगवान शंकर की कृपा से ब्राह्मण और उनका पुत्र दुख से मुक्त हुए और सुख-शांति से जीवन व्यतीत करने लगे।
जानें क्या है रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
पंडित दीक्षित के मुताबिक, सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष का रवि प्रदोष व्रत 13 अगस्त को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और गंगाजल छिड़ककर घर की शुद्धि करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव की पूजा अर्चना कर फल, फूल और पंचामृत का भोग लगाएं। इसके बाद शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें।
सावन प्रदोष व्रत तिथि
पंचांग के अनुसार 13 अगस्त को प्रदोष तिथि की शुरुआत सुबह 8 बजकर 19 मिनट से शुरू हो रही है। इसका समापन 14 अगस्त की सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर होगा।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त | Pradosh Puja Time
प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिव जी की पूजा का विधान है और प्रदोष काल का समय 13 अगस्त को मिल रहा है, इसलिए इस दिन ही इस व्रत और पूजन किया जाएगा।