गर्भ संस्कार मंत्र | Garbh Sanskar Mantra

 गर्भ संस्कार मंत्र | Garbh Sanskar  Mantra



"गर्भ संस्कार" का अर्थ होता है गर्भ में बच्चे की शिक्षा और संस्कार देना। इस तकनीक का मकसद है गर्भवती माँ को सकारात्मक, धार्मिक, और सौंदर्यपूर्ण विचारों और मूल्यों के साथ बच्चे को प्रभावित करना।


गर्भ संस्कार में मंत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है, जो माँ और बच्चे के लिए शांति, सुख, और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करते हैं। ये मंत्र वेद, उपनिषद, और पुराणों से लिए जाते हैं और विभिन्न भाषाओं में हो सकते हैं।


यहां कुछ गर्भ संस्कार मंत्र दिए जा रहे हैं:


  • रक्ष रक्ष गणाध्यक्षः रक्ष त्रैलोक्य नायकः। भक्त नाभयं कर्ता त्राताभव भवार्णवात्।। - गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के 9 महीने तक रोजाना गणेश जी के सामने इस मंत्र का जाप करना चाहिए. मंत्र की संख्या 108 रखें. डिलीवरी का समय नजदीक हो तब इसकी संख्या बढ़ा दें.

  • ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते. देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: - गुणकारी और स्वस्थ संतान चाहते हैं तो प्रेग्नेंसी में इस मंत्र का प्रतिदिन एक माला जाप करें. मान्यता है इससे कृष्ण के समान संतान पैदा होती है.

  • गर्भावस्था के दौराम महिलाओं को गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए. इससे बच्चे को मानसिक रूप से मजबूती मिलती है और साथ ही उसके अंग मजबूत होते हैं.

  • गर्भवती महिला के कमरे में तांबे की धातु से बनी कोई एक वस्तु रखें इससे गर्भवती महिला और बच्चे पर बुरी नजर और नकारात्मकता का असर नहीं होता.


गर्भ गायत्री मंत्र

 ओम भुर भुवः स्वाः,
तत सवितुर वरेण्यम,
भारगो देवस्य धिमही,
धियो यो ना प्रचोदयात

मंत्र-2
मनो जावं मारुता तुल्या वेगम”
जितेंद्रियं बुद्धि मातम वरिष्ठ,
वात आत्मजं वानर युथा मुखिया:
श्री राम दुतम शरणंम प्रपद्ये

मंत्र-3
या कुंडेंदु तुषारहारा धवला या शुभ्रा वस्त्रवृता”
या वीणा वरदंड मन्दिताकार या श्वेता पद्मासन
या ब्रह्मच्युत शंकर प्रभृतिबिहि देवैः सदा पूजित
सा मम पट्टू सरवती भगवती निश्शेष जद्यपहा

मंत्र-4
शांता आकाराम भुजगा शयनं पद्म नाभम सुरा ईशम”
विश्व आधारम गगन सद्र्शं मेघा वर्ण शुभ अंगगम,
लक्ष्मी कणतम कमला नयनम योगीबीर ध्यान गम्यम
वंदे विष्णुम भव भाया हरम सर्व लोक एक नाथम

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