दीपावली पूजन विधि मंत्र सहित | Deepawali Pujan Vidhi Mantra Sahit

 दीपावली पूजन विधि मंत्र सहित

  पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाया जाता है। रोशनी का ये पर्व आज बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। माना जाता है कि दिवाली के दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे। उन्हीं के वापस आने की खुशी में पूरी आयोध्या को दीपकों से सजाया गया था। इसी कारण इसी दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी इसी दिन प्रकट हुई थी। इसी कारण आज के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। दिवाली की शाम को पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त में गणेश-लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना जाता है। जानिए गणेश- लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती।

दीपावली पूजन मुहूर्त 2023 |  Deepawali Pujan Mahurat 2023

1. तिथि और समय:
   - दिवाली 2023 का आयोजन 12 नवंबर को कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को हो रहा है.
   - पूजा दिवाली के दिन, यानी 12 नवंबर 2023, रविवार को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 13 नवंबर, सोमवार की दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी.

2. प्रदोष काल:
   - दिवाली के दिन, प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना जाता है.

3. मां लक्ष्मी की पूजा:
   - धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए.
   - इस पूजा के माध्यम से धन-धान्य का सौभाग्य प्राप्त करते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

4. शुभ मुहूर्त:
   - शुभ मुहूर्त के अनुसार, लक्ष्मी पूजा का सबसे शुभ समय शाम 5 बजकर 40 मिनट से शुरू होगा, और यह 7 बजकर 36 मिनट तक रहेगा.

इन पॉइंट्स के माध्यम से, दिवाली 2023 के महत्वपूर्ण तिथि, पूजा विधि, और शुभ मुहूर्त की जानकारी दी गई है, जो लोगों को इस पारंपरिक पर्व को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मनाने में मदद करेगी।

गणेश-लक्ष्मी पूजन विधि |Ganesh Laxmi Pujan Vidhi

  1. दिवाली के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़क दें। इसके साथ ही रंगोली और मुख्य द्वार में तोरण लगा लें।
  2. शाम के समय उत्तर-पश्चिम दिशा में एक चौकी रखें और उसमें सफेद या पीले रंग से रंग लें। इसके बाद इसमें लाल रंग का कपड़ा बिछा दें।
  3. अब चौकी में भगवान गणेश, मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर दें। आप चाहे तो मां सरस्वती की मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं।
  4. चौकी के पास एक मिट्टी या पीतल के कलश में जलभर कर रख दें और उसके ऊपर आम के पत्ते रखकर कोई कटोरी रख दें।
  5. अब पूजा आरंभ करें। सबसे पहले सभी देवी देवताओं का आह्वान करके जल अर्पित करें। इसके बाद फल, माला, मौली, जनेऊ, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत आदि अर्पित करें।
  6. अब एक-एक पान में 2 लौंग, बाताशा, 1 सुपारी और 2 इलायची के साथ एक रुपए का सिक्का रखकर चढ़ादें। इसके साथ ही लाइया, गट्टा, खिलौना आदि के साथ मिठाई चढ़ा दें।
  7. भोग लगाने के बाद जल अर्पित करें और घी का दीपक जलाने के साथ 5 अन्य दीपक जलाएं और सभी के सामने रख दें।
  8. अब लक्ष्मी स्तुति, चालीसा और मंत्र का जाप करें। इसके बाद भगवान गणेश की आरती सहित अन्य आरती कर लें।
  9. अंत में आचमन करने के बाद भूलचूक के लिए माफी मांग लें।
  10. महालक्ष्मी की पूजा करने के बाद वाहन, बही खाता, तिजोरी, पुस्तक, बिजनेस संबंधी चीजों की पूजा कर लें और फिर पूरे घर को दीपक से सजा लें।
  11. दिवाली में माता लक्ष्मी का आगमन अपने घर में या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में कराना चाहते हैं तो श्री सूक्त के ऋग्वैदिक श्री सूक्तम के प्रथम श्लोक को पढ़ना चाहिए।


ऊं हिरण्यवर्णान हरिणीं सुवर्ण रजत स्त्रजाम
चंद्रा हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो म आ वहः।।


दिवाली पर मां लक्ष्मी पूजा मंत्र

    ॐ श्रीं श्रीयै नम:
    ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
    ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

कुबेर प्रार्थना मंत्र

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।

महालक्ष्मी मंत्र

ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।

श्री लक्ष्मी बीज मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

अर्घ्य मंत्र


क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।

सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:।।

प्रार्थना मंत्र

सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।

मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी।।

माता लक्ष्मी आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता ।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।


 

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