Bajrang Baan | बजरंग बाण संकट मोचन
बजरंग बाण की शक्ति क्या है?
बजरंग बाण, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख हनुमान जी का स्तुति ग्रंथ है। यह ग्रंथ तुलसीदास जी द्वारा रचित हुआ है और सुन्दरकाण्ड के बाद आता है, जो वाल्मीकि रामायण का एक हिस्सा है।
बजरंग बाण में हनुमान जी की महिमा और शक्तियों की भावना है। इसे बजरंगबली का रक्षा-मंत्र माना जाता है और इसका पाठ करने से भक्त को हनुमान जी की कृपा मिलती है, जिससे उसे संघर्षों से बचने और उन्हें परिणामस्वरूप परिहार करने की शक्ति मिलती है।
बजरंग बाण का पाठ विशेष अवसरों पर और भक्ति भाव से किया जाता है, जैसे कि हनुमान जयंती, मंगलवार, और शनिवार। इसे सुनने या पढ़ने का मान्यता पूर्ण रूप से माना गया है और यह श्रद्धालुओं के बीच में एक प्रमुख पौराणिक पाठ है।
बजरंग बाण का पाठ करने से पहले ध्यान देना चाहिए कि आप शुद्ध भावना और श्रद्धा के साथ कर रहे हैं और आपका मानसिक स्थिति ध्यान में है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप इसका अर्थ समझें ताकि आप इसे वास्तविक भावना के साथ पढ़ सकें।
बजरंग बाण पाठ के लाभ | Bajrang Baan Benefits
बजरंग बाण, जिसे बजरंग बाण भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख हनुमान जी का स्तुति ग्रंथ है। इसे बजरंगबली का रक्षा-मंत्र माना जाता है और इसे सुनने या पढ़ने का मान्यता पूर्ण रूप से माना गया है। बजरंग बाण पठन के कई लाभ हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. रक्षा का असर: बजरंग बाण का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा मिलती है और यह रक्षा की शक्ति को बढ़ावा देता है। लोग इसे अपने जीवन में संघर्षों और खतरों से बचने के लिए पढ़ते हैं।
2. आत्मविश्वास और स्थिरता: बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास और स्थिरता की भावना बढ़ती है। हनुमान जी का पूजन और उनके मंत्रों का पाठ व्यक्ति को आत्मिक शक्ति प्रदान करता है।
3. भक्ति में वृद्धि: बजरंग बाण का पाठ करने से भक्ति में वृद्धि होती है। हनुमान जी के प्रति श्रद्धा बढ़ती है और व्यक्ति उनके प्रति आस्था में और भी दृढ़ हो जाता है।
4. बुराईयों से मुक्ति: बजरंग बाण का पाठ करने से बुराईयों और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है, और व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
5. रोग निवारण: कई लोग बजरंग बाण को रोग निवारण के लिए पढ़ते हैं। यह शरीर और मन को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
6. शांति और सुख: बजरंग बाण का पाठ करने से मानव जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति का जीवन समृद्धि से भरा होता है।
यह लाभ स्वयं भगवान हनुमान के पूजन के रूप में माना जाता है, और यह साधक को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक हो सकता है। ध्यान रखें कि यह सामान्यत: आध्यात्मिक और मानवता के लाभों का हिस्सा माना जाता है और यह निर्भर करता है कि व्यक्ति किस प्रकार से और क्यों बजरंग बाण का पाठ कर रहा है।
बजरंग बाण कितनी बार पढ़ना चाहिए
बजरंग बाण को पढ़ने का सामान्य अनुसार, इसे एक बार या तीन बार पढ़ना शुभ माना जाता है। हालांकि, कुछ लोग इसे अधिक बार पढ़ना चाहते हैं, जैसे कि १०१ बार, ११०८ बार, या ज्यादा संख्या में पढ़ा जाता है। यह आपकी श्रद्धा और आध्यात्मिक अभ्यास पर निर्भर करता है।
ध्यान दें कि महत्वपूर्ण है कि आप इसे सही रूप से पढ़ें और उसका अर्थ समझें, ताकि आपका मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सके। बजरंग बाण का पाठ करने से पहले, आप यह सुनिश्चित करें कि आप शुद्ध और भक्तिभाव से हैं।
सुझाव यह भी है कि आप इसे नियमित रूप से पढ़ें और इसे आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं में सहायक मानें। ध्यान दें कि भक्ति और श्रद्धा के साथ किसी भी मंत्र, मंत्रा या श्लोक का पाठ करना उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बजरंग बाण लिरिक्स | बजरंग बाण लिखित में
सम्पूर्ण बजरंग बाण
दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥