बगलामुखी माता | Baglamukhi Mata

 बगलामुखी माता | Baglamukhi Mata

 

 बगलामुखी माता हिन्दू धर्म में पूजी जाने वाली देवी है, जिन्होंने शक्ति और साधना की प्रतीक हैं। वे बगलामुखी मंत्र और साधना के द्वारा दुश्मनों को परास्त करने और संकटों से मुक्ति प्रदान करने की माता मानी जाती हैं. इनकी पूजा विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं में की जाती है, और बगलामुखी मंत्र का जाप उनके पूजकों द्वारा किया जाता है.

बगलामुखी माता का प्रतिक होता है "बगलामुखी यन्त्र" जिसे पूजन के समय उपयोग किया जाता है। इन्होंने आपके दुश्मनों को परास्त करने और आपकी सुरक्षा के लिए शक्तियाँ प्रदान करने की जिम्मेदारी ग्रहण की हैं। बगलामुखी मंत्र का जाप उन्हें प्रसन्न करने के लिए किया जाता है.

बगलामुखी माता का पूजन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, और यह विश्वास किया जाता है कि वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके दुश्मनों को परास्त करती हैं.

 बगलामुखी माता की कहानी | Baglamukhi Mata Story

इस पूरी सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया। तब उसके वध के लिए मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। मां ने बगुला का रूप धारण कर उस राक्षस का वध किया और ब्रह्मा को उनका ग्रंथ लौटाया। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। पहले रावण और उसके बाद लंका पर जीत के लिए श्रीराम ने शत्रुनाशिनी मां बगला की पूजा की और विजय पाई। मां बगलामुखी को पीतांबरी भी कहा जाता है। इस कारण मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली और आसन से लेकर हर कुछ पीला ही होता है।


 बगलामुखी माता का मंत्र | Baglamukhi Mata Mantra

 1.बगलामुखी मंत्र

ऊँ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ऊँ नम:  
 
इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी किए जाते हैं जैसे- मधु, शर्करायुक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते हैं। मधु, घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है। तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है। हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का नाश होता है।

2.शत्रु नाशक मंत्र | Baglamukhi Mata Shatru Nashak Mantra

अगर शत्रुओं ने जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट-कचहरी, पुलिस के चक्कर से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए।
 
ऊँ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्लीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
 
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें। मूर्ति या चित्र के सम्मुख गुग्गल की धूनी जलाएं। रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जाप करें। मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें। 

 3.  सुरक्षा कवच का मंत्र
 
प्रतिदिन निम्र मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर से रक्षा होती है त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता।

ऊँ हां हां हां ह्लीं बङ्का कवचाय हुम
 
देवी मां को पान, मिठाई, फल सहित पंच मेवा अर्पित करें। छोटी-छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें। रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें। मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें।

4.भय नाशक मंत्र

अगर आप किसी भी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति से डरते हैं और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए।
 
ऊँ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन
 
पीले रंग  के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें। पुष्प, अक्षत, धूप-दीप से पूजन करें। रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जाप करें। दक्षिण दिशा की ओर मुख रखें।

5.बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र :
 
ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वा कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं  ऊँ स्वाहा’  

का जप हल्दी की माला पर करना चाहिए। 

बगलामुखी मंदिर कहां है | Baglamukhi Mata Temple

 बगलामुखी मंदिर भारत में कई स्थानों पर है, लेकिन सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध बगलामुखी मंदिर है:

1. बगलामुखी मंदिर, हिमाचल प्रदेश: यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के सुलहन पर्वत पर स्थित है। यहां पर भगवानी बगलामुखी की पूजा और अर्चना की जाती है।

2. बगलामुखी मंदिर, दिल्ली: यह मंदिर दिल्ली के सरोजिनी नगर में स्थित है और बगलामुखी माता की पूजा के लिए एक प्रसिद्ध स्थल है।

3. बगलामुखी मंदिर, कांचीपुरम: यह मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित है और बगलामुखी माता की पूजा के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।

बगलामुखी मंदिर का रहस्य | Baglamukhi Mata Temple Secret

 बगलामुखी मंदिर का महत्व और रहस्य धार्मिक तात्त्विक दृष्टिकोण से जुड़ा होता है और यह विशेष तरीके से हिन्दू धर्म में मान्यता प्राप्त किया है। बगलामुखी मंदिर के रहस्य कुछ निम्नलिखित तत्वों पर आधारित हो सकते हैं:

1. बगलामुखी देवी की पूजा: बगलामुखी मंदिर बगलामुखी देवी की पूजा और अर्चना के लिए स्थल होते हैं। बगलामुखी देवी हिन्दू धर्म में एक शक्ति देवी के रूप में मानी जाती है, जिनकी शक्ति को शत्रुनाशक, समाधान, और सुरक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

2. उपासना और तंत्र मंत्र: बगलामुखी मंदिरों में बगलामुखी देवी की उपासना और तंत्र मंत्र की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह मंत्र और पूजा की विशेषता के रूप में मानी जाती है और इसे भक्तों के द्वारा पालन किया जाता है।

3. शत्रुनाशक और सुरक्षा: बगलामुखी मंदिर के पूजा-पाठ का मुख्य उद्देश्य शत्रुनाशक और रक्षात्मक होता है। यह मान्यता है कि बगलामुखी माता की कृपा से व्यक्ति शत्रुओं और अपातकाल से सुरक्षित रह सकते हैं।

4. तंत्रिक गुप्तता: बगलामुखी मंदिरों और उनकी पूजा के कई तंत्रिक गुप्तता होती है, और इसे आम तौर पर विशेष विधियों और मंत्रों के साथ पालन किया जाता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से, बगलामुखी मंदिर का रहस्य उनकी शक्तियों के साथ जुड़ा होता है और इसे भक्तों के शत्रुनाशक और सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। यह धार्मिक परंपराओं और विश्वासों का हिस्सा होता है और विभिन्न स्थलों पर विभिन्न प्रकार के बगलामुखी मंदिर मौजूद हैं।

बगलामुखी माता का दिन कौन सा है

बगलामुखी जयंती हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है यह वही दिन है जिस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी.


Baglamukhi Chalisa | बगलामुखी चालीसा


।। अथ श्री बगलामुखी चालीसा ।।


1- नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।।
2- नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी ।।
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी ।।

3- अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ।
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।।
4- स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला ।।

5- भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ।
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा ।।
6- तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ।
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी ।।

7- सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे ।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन ।।
8- दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता ।
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता ।।

9- मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी ।
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी ।।
10- अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को ।
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।।

11- चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे ।
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे ।।
12- मूठ आदि अभिचारण संकट . राजभीति आपत्ति सन्निकट ।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे ।।

13- सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे ।
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।।
14- सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी ।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक ।।

15- तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें ।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता ।।
16- यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ।
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी ।।

17- जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई ।
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो ।।
18- पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी ।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया ।।

19- जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा ।
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता ।।
20- सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ।
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ।।

21- नमो महाविधा आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता ।।
22- रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल ।
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल ।।

।। इति श्री बगलामुखी चालीसा पाठ समाप्त ।।


Baglamukhi Aarti | बगलामुखी आरती

|| माँ बगलामुखी आरती ||

जय जय श्री बगलामुखी माता,
आरती करहूँ तुम्हारी |

जय जय श्री बगलामुखी माता,
आरती करहूँ तुम्हारी |

पीत वसन तन पर तव सोहै,
कुण्डल की छबि न्यारी |

कर कमलों में मुद्गर धारै,
अस्तुति करहिं सकल नर नारी |

जय जय श्री बगलामुखी माता …………

चम्पक माल गले लहरावे,
सुर नर मुनि जय जयति उचारी |

जय जय श्री बगलामुखी माता ……………

त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब,
भक्ति सदा तव है सुखकारी |

जय जय श्री बगलामुखी माता …………….

पालन हरत सृजत तुम जग को,
सब जीवन की हो रखवारी ||

जय जय श्री बगलामुखी माता ………..

मोह निशा में भ्रमत सकल जन,
करहु ह्रदय महँ, तुम उजियारी ||

जय जय श्री बगलामुखी माता ………..

तिमिर नशावहू ज्ञान बढ़ावहु,
अम्बे तुमही हो असुरारी |

जय जय श्री बगलामुखी माता ………..

सन्तन को सुख देत सदा ही,
सब जन की तुम प्राण प्यारी ||

जय जय श्री बगलामुखी माता ……….

तव चरणन जो ध्यान लगावै,
ताको हो सब भव – भयहारी |
सबसे अच्छी और बेस्ट होस्टिंग कम प्राइस में खरीदने के लिए दबाएँ

जय जय श्री बगलामुखी माता ………..

प्रेम सहित जो करहिं आरती,
ते नर मोक्षधाम अधिकारी ||

जय जय श्री बगलामुखी माता ………….

|| दोहा ||

बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय |
विनती कुलपति मिश्र की, सुख सम्पति सब होय ||
Maa BaglaMukhi Aarti Lyrics

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata,
Aarti Karahun Tumhari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata,
Aarti Karahun Tumhari.

Peet Vasan Tan Par Tav Sohe,
Kundal Ki Chavi Nyari.

Kar Kamalon Me Mudgar Dhaare,
Astuti Karahin Sakal Nar Naari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata ………..

Champak Maal Gale Lahrawe,
Sur Nar Muni Jay Jayati Uchari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata …………..

Trividh Taap Miti Jaat Sakal Sab,
Bhakti Sada Tav Hai Sukhkaari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata ……………

Paalan Harat Srijat Tum Jag Ko,
Sab Jiwan Ki Ho Rakhwari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata ………..

Moh Nisha Me Bhramat Sakal Jan,
Karahu Hriday Mah, Tum Ujiyaari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata ……….

Timir Nashawahu Gyan Badhawahu,
Ambe Tumahi Ho Asurari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata …………..

Santan Ko Sukh Det Sada Hi,
Sab Jan Ki Tum Praan Pyari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata ………..

Tav Charanan Jo Dhyan Lagawe,
Taako Ho Sab Bhav – Bhayhaari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata ……………

Prem Sahit Jo Karahi Aarti,
Te Nar Mokshdhaam Adhikari.

Jay Jay Shri Baglamukhi Mata …………..

|| Doha ||

Baglamukhi Ki Aarti, Padhe Sune Jo Koy,
Vinati Kulpati Mishra Ki, Sukh Sampati Sab Hoy.



Baglamukhi Kavach | बगलामुखी कवच

अथ बगलामुखी कवचं प्रारभ्यते

श्रुत्वा च बगला पूजां स्तोत्रं चापि महेश्वर। इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं वद मे प्रभो।।

वैरिनाशकरं दिव्यं सर्वाऽशुभविनाशकम्। शुभदं स्मरणात्पुण्यं त्राहि मां दु:ख-नाशनम्।।
श्री भैरव उवाच  

कवच श्रृणु वक्ष्यामि भैरवि । प्राणवल्लभम् । पठित्वा धारयित्वा तु त्रैलोक्ये विजयी भवेत्।।
विनियोग

ॐ अस्य श्री बगलामुखीकवचस्य नारद ऋषि: अनुष्टुप्छन्द: श्रीबगलामुखी देवता। ह्रीं बीजम्। ऐं कीलकम्। पुरुषार्थचतुष्टयसिद्धये जपे विनियोग:।।
अथ कवचम्

शिरो मे बागला पातु ह्रदयैकक्षरी परा ।ॐ ह्रीं ॐ मे ललाटे च बगला वैरिनाशिनी।।

गदाहस्ता सदा पातु मुखं मे मोक्षदायिनी। वैरि जिह्राधरा पातु कण्ठं मे बगलामुखी।।

उदरं नाभिदेंश च पातु नित्यं परात्परा। परात्परतरा पातु मम गुह्रं सुरेश्वरी।।

हस्तौ चैव तथा पादौ पार्वती परिपातु मे। विवादे विषमे घोरे संग्रामे रिपुसंकटे।।

पीताम्बरधरा पातु सर्वांगं शिवंनर्तकी। श्रीविद्या समयं पातु मातंगी पूरिता शिवा।।

पातु पुत्रीं सूतञचैव कलत्रं कलिका मम। पातु नित्यं भ्रातरं मे पितरं शूलिनी सदा।।

रंध्रं हि बगलादेव्या: कवचं सन्मुखोदितम्। न वै देयममुख्याय सर्वसिद्धि प्रदायकम्।।

पठनाद्धारणादस्य पूजनादवांछितं लभेत्। इंद कवचमज्ञात्वा यो जपेद् बगलामुखीय।।

पिबन्ति शोणितं तस्य योगिन्य: प्राप्य सादरा: । वश्ये चाकर्षणे चैव मारणे मोहने तथा।।

महाभये विपतौ च पठेद्वरा पाठयेतु य:। तस्य सर्वार्थसिद्धि:। स्याद् भक्तियुक्तस्य पार्वति।।

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