आंवला नवमी कथा | Amla Navami Ki Katha

Amla Navami Ki Katha |आंवला नवमी कथा

 


 आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और आंवले का सेवन किया जाता है।

आंवला नवमी का महत्व

आंवला नवमी का महत्व निम्नलिखित है:

  •  आंवला एक औषधीय गुणों से भरपूर फल है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
  •  मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  •  इस दिन आंवले का सेवन करने से अक्षय धन, अखंड सौभाग्य और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

आंवला नवमी की पूजा विधि
  |  Amla Navami Ki Puja Vidhi

आंवला नवमी की पूजा विधि निम्नलिखित है:
  • सुबह स्नान करके आंवले के पेड़ के नीचे जाएं।
  •  पेड़ के नीचे पूर्व दिशा में मुंह करके खड़े हों।
  • आंवले के पेड़ पर जल, दूध, फूल, अक्षत, रोली, धूप, दीप और प्रसाद चढ़ाएं।
  •  आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें।
  •  आंवले के पेड़ के नीचे आंवले का रस पीएं।
  •  आंवले के पेड़ से प्रार्थना करें कि वह आपको स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करे।
  • आंवला नवमी के उपाय
  • आंवला नवमी के दिन निम्नलिखित उपाय करने से शुभ फल प्राप्त होता है:
  • आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • आंवले का रस पीएं।
  • आंवले के बीजों को जल में डालकर उसे पीएं।
  • आंवले के पत्तों को जल में डालकर उसे पीएं।


आंवला नवमी एक शुभ दिन है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अक्षय नवमी की कथा   |  Akshay Navami Vrat Katha


धार्मिक पुराणों के अनुसार किसी समय में एक साहूकार था. वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराता था . साहूकार उस दिन सोने का दान करता था और गरीबों की मदद करता था. साहूकार के लड़कों को यह सब करना अच्छा नहीं लगता था. उन सभी को लगता था कि उनका पिता धन लुटा रहे हैं. इन बातों से आहत होकर साहूकार दूसरे गांव में जाकर एक दुकान करने लगा. उन्होंने दुकान के आगे आंवले का पेड़ लगाया और उसकी देखभाल करने लगे. साहूकरा की दुकान खूब चलने लगी और बेटों का कारोबार बुरी हालत में पहुंच गया. साहूकार के बेटे अपने पिता के पास पहुंचे और क्षमा मांगी. पिता ने उन्हें क्षमा कर दिया और उन सभी से आंवले के वृक्ष की पूजा करने का कहा. उनके बेटों ने बात मानी और आंवले की पूजा करने लगे, कुछ ही समय में उनका काम धंधा पहले की तरह चलने लगा.

 आंवला नवमी कब है 2023 |Amla navami kab hai 2023 mein


आंवला नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि का प्रारंभ - 21 नवंबर सुबह 3 बजकर 16 मिनट से
नवमी तिथि का समापन - 22 नवंबर रात 1 बजकर 8 मिनट तक
ऐसे में उदयातिथि को मानते हुए 21 नवंबर दिन मंगलवार को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा।

आंवला नवमी पूजा शुभ मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक

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