शमी पूजन मंत्र | Shami Pujan Mantra

 शमी पूजन मंत्र | Sami Pujan Mantra

मान्यता है कि शमी के वृक्ष घर में लगाने से सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और शनि प्रकोप भी कम होता है। साथ ही तंत्र-मंत्र और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मान्यता यह भी है कि कालिदास ने शमी के वृक्ष के नीचे तपस्या की थी, जिससे उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई। विजयादशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। कार्य सिद्धि के लिए इस मुहूर्त में पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
पूजन के दौरान करें इस मंत्र का जप

विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष के पूजन के उपरांत इस मंत्र का जप करना चाहिए। इससे सभी मनोकामना पूरी होती हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।


शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी।।
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता।।

शमी पत्र चढ़ाने का मंत्र

 
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।

- शमी पत्र चढ़ाने के
बाद शिवजी की धूप, दीप और कर्पूर से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें।

 शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए

शमी पत्र को आमतौर पर दशहरा के दिन नहीं तोड़ना चाहिए, जो विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। दशहरा भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है, और इसे दुर्गा पूजा के 9 दिनों के अवसर पर समापन के रूप में मनाया जाता है. शमी पत्र को इस दिन तोड़ने का रिवाज अनेक स्थानों पर प्रचलित है, और लोग इसे अपने घरों में दुर्गा पूजा के बाद तोड़कर अपने घरों में रखते हैं, जिसका महत्व हिन्दू धर्म में है.

यह तिथि हर साल बदलती है, क्योंकि वह दुर्गा पूजा के 9 दिनों के अवसर पर आती है, और इसलिए आपको अपने क्षेत्र में दिनांक के आधार पर इस तिथि की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए.

शमी की पूजा कैसे करे

शमी पूजन विधि

 भारतीय संस्कृति में विजयादशमी (दशहरा) के दिन शमी पौधों की पूजा का हिस्सा होती है। निम्नलिखित है शमी पूजन की सामान्य विधि:
सामग्री (सामग्री की यह सूची विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग हो सकती है, और यह आपके स्थानीय परंपराओं पर भी निर्भर करता है):

1. शमी पौधा: यह दशहरा के दिन तोड़ा जाने वाला शमी पौधा होता है।
2. गूड़, घी, और दही: ये पूजन में उपयोग होते हैं.
3. रंगों की पांच पातियाँ: विभिन्न रंगों की पांच पात

 
शिवलिंग पर शमी पत्र कैसे चढ़ाएं

शमी पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
सामग्री:
1. शमी पत्र
2. गंगाजल या साफ पानी
3. बेल पत्र (वृक्ष की पत्तियाँ)
4. अगरबत्ती और दीपक
5. पूजा की थाली
6. अपने इष्ट देवता की मूर्ति या चित्र


पूजा की विधि:
1. सबसे पहले, पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान चुनें और उसे सफाई और सजावट से तैयार करें.
2. अपने इष्ट देवता की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें.
3. अपने हाथों को धोकर शुद्ध करें और यज्ञोपवीत धारण करें (अगर आपके पास है).
4. गंगाजल या साफ पानी का उपयोग करके शिवलिंग को स्नान करें. इसके बाद, शिवलिंग को सूखने के लिए एक साफ कपड़े से पोंछ लें.
5. अब शमी पत्र को धोकर सुखा लें.
6. एक बेल पत्र को भी धोकर सुखा लें.
7. अब अपने इष्ट देवता का पूजन करें, उन्हें धूप, दीपक, और पुष्पों से पूजें.
8. शमी पत्र को अपने इष्ट देवता की मूर्ति के निकट रखें और उसे अर्चना करें.
9. बेल पत्र को भी अपने इष्ट देवता के समीप रखें और उन्हें भी अर्चना करें.
10. अब शमी पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाएं, और उसे धीरे-धीरे पूजा करें.
11. पूजा के बाद, अपने इष्ट देवता का धन्यवाद दें और अपने इष्ट देवता के प्रति अपने आभार की भावना रखें.

यह पूजा शिवलिंग के प्रति भक्ति और आदर का प्रतीक होती है, और शमी पत्र का उपयोग शिवलिंग पूजा में एक प्रमुख प्राथमिकता होती है.


शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाने के फायदे

शमी पत्र का महत्व

शमी पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के पारंपरिक और आध्यात्मिक मान्यताएँ होती हैं, और इसका कई महत्वपूर्ण फायदे माने जाते हैं:

1. शिव के प्रति भक्ति:यह पूजा शिव भगवान के प्रति भक्ति और आदर का प्रतीक होती है. शमी पत्र का चढ़ाव भगवान शिव की प्रतिष्ठा और महत्व को दर्शाता है.

2. आशीर्वाद: शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाने से मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

3. पापों का नाश: शमी पत्र का चढ़ाव किसी भी पाप का नाश करने में मदद करता है, और भक्तों को पवित्रता और शुद्धता का आभास कराता है.

4. अध्यात्मिक उन्नति: यह पूजा आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मदद कर सकती है, और व्यक्ति को अपने आत्मा के साथ संबंध बनाने में मदद कर सकती है.

5. सफलता और सुख: इसके माध्यम से शिवलिंग पर चढ़ाव करने से जीवन में सफलता और सुख प्राप्त करने की कामना की जाती है.

यहां यह जरूरी है कि इन फायदों को आपकी आस्था और विश्वास की दृष्टि से देखना चाहिए, क्योंकि यह पारंपरिक और आध्यात्मिक प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।



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