नौ देवियों के मंत्र | 9 Devi Beej Mantra
नौ देवी के नाम | देवी स्तुति मंत्र
1.मां शैलपुत्री
मां शैलपुत्री बीज मंत्र
ह्रीं शिवायै नम:
प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
2.मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
प्रार्थना मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
3. मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा बीज मंत्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रार्थना मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
4.मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
5.मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
प्रार्थना मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
6.मां कात्यायनी
मां कात्यायनी बीज मंत्र
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
7. मां कालरात्रि
मां कालरात्रि बीज मंत्र
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
प्रार्थना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
8.मां महागौरी
मां महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
9.मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
दुर्गा बीज मंत्र के फायदे | Benifts of Durga Beej Mantra
दुर्गा बीज मंत्र, मां दुर्गा की आराधना और पूजा के समय उपयोग किया जाने वाला प्रमुख मंत्र है और इसके उच्चारण से व्यक्ति मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। यह मंत्र दुर्गा माता की शक्ति और साहस की प्रतीक है और उसकी आराधना से भक्त कई फायदे प्राप्त कर सकता है:
1. सुरक्षा और रक्षा: दुर्गा बीज मंत्र के उच्चारण से भक्त मां दुर्गा की कृपा में रहकर सुरक्षित और रक्षित महसूस कर सकते हैं। यह उन्हें बुराई और अधर्म के खिलाफ बचाने में मदद कर सकता है।
2. आत्म-संयम: दुर्गा माता की आराधना से मिलने वाला साहस और आत्म-संयम व्यक्ति को अधिक उत्साही और सशक्त बना सकता है।
3. स्वास्थ्य के लिए लाभ: दुर्गा माता की कृपा से भक्त आच्छदक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं और रोगों से बचाव कर सकते हैं।
4. मानसिक शांति: दुर्गा बीज मंत्र का जाप मानसिक चिंता और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
5. कार्यों में सफलता: यह मंत्र कार्यों में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है और परिश्रम की दिशा में वृद्धि कर सकता है।
6. धार्मिक साधना: दुर्गा माता के पूजन और मंत्र जाप से व्यक्ति अपने धार्मिक अद्भुत अनुभव प्राप्त कर सकता है और आध्यात्मिक विकास की दिशा में बढ़ सकता है।
यदि आप दुर्गा बीज मंत्र का उच्चारण करने का विचार कर रहे हैं, तो सही उच्चारण तथा मां दुर्गा की श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका अभ्यास करें। ध्यान और धारणा के साथ इस मंत्र के जाप का आनंद लें और इसके साथ आध्यात्मिक विकास की ओर बढ़ें।
नौ देवियों के नाम और स्थान
मां दुर्गा के मुख्य 9 शक्तिपीठ | 9 Shakti Peeth of Maa Durga
1. कालीघाट मंदिर कोलकाता- पांव की चार अंगुलियां गिरी
2. कोलापुर महालक्ष्मी मंदिर- त्रिनेत्र गिरा
3. अम्बाजी का मंदिर गुजरात- हृदय गिरा
4. नैना देवी मंदिर- आंखों का गिरना
5. कामाख्या देवी मंदिर- यहां गुप्तांग गिरा था
6. हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन बायां हाथ और होंठ यहां पर गिरे थे
7. ज्वाला देवी मंदिर सती की जीभ गिरी
8. कालीघाट में माता के बाएं पैर का अँगूठा गिरा था.
9. वाराणसी- विशालाक्षी उत्तर प्रदेश के काशी में मणिकर्णिक घाट पर माता के कान के मणिजड़ित कुंडल गिरे थे.