शरीर त्यागने का मंत्र । Sharir Tyagne ka Mantra
इस मंत्र का जाप करते हुए प्राण त्यागने वाले की होती है बैकुण्ठ प्राप्तिश्रीमद्भगवद्गीता यथारूप
व्याख्याकार: स्वामी प्रभुपाद
अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
य: प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्॥ 13॥
अनुवाद एवं तात्पर्य
इस योग साधना में स्थित होकर अक्षरों का परम संयोग ओंकार का जाप करते हुए यदि कोई भगवान् का चिन्तन करते हुए अपने शरीर का त्याग करते हैं तो वह अवश्य आध्यात्मिक क्षेत्रों में जाना जाता हैयहां स्पष्ट उल्लेख हुआ है कि ओम्, ब्रह्म तथा भगवान् कृष्ण परस्पर भिन्न नहीं हैं। ओम्, कृष्ण की निर्विशेष ध्वनि है, लेकिन हरे कृष्ण में यह ओम् सन्निहित है। इस युग के लिए हरे कृष्ण मंत्र जप की स्पष्ट संस्तुति।