सूर्य नमस्कार मंत्र अर्थ सहित | Surya Namaskar Mantra

 सूर्य नमस्कार मंत्र अर्थ सहित   |  Sun Salutation Sanskrit Mantra with Meaning


सूर्य पृथ्वी पर जीवन का निर्वाह करता है। हमारे प्राचीन ऋषियों ने इसे स्वीकार किया और सूर्य की पूजा की। सूर्य नमस्कार गति में एक प्रशंसा है जो सूर्य को अर्पित की जाती है। इसमें बारह योग मुद्राएं या आसन शामिल हैं जो सूर्य के चक्रों को दर्शाते हैं जो लगभग सवा बारह वर्षों में चलते हैं। यदि आपका सिस्टम स्फूर्तिवान है, तो आपका चक्र सौर चक्र के अनुरूप होगा। सूर्य नमस्कार आपके भौतिक चक्र और सूर्य के बीच इस सामंजस्य को बनाने में मदद करता है।


सूर्य नमस्कार मंत्र नामक मंत्र सूर्य नमस्कार के साथ हो सकते हैं। ये मंत्र शरीर, श्वास और मन में सामंजस्य लाते हैं। जैसे-जैसे अभ्यास गहरा होता है, वैसे-वैसे लाभ भी होता है। जब ईमानदारी से कृतज्ञता के साथ जप किया जाता है, तो ये मंत्र अभ्यास को एक उन्नत आध्यात्मिक स्तर तक ले जा सकते हैं।


'ओम भानवे नमः' का अर्थ है 'वह जो प्रकाश लाता है।' जब आप इस मंत्र का पाठ करते हैं, तो हमें प्रकाश देने और पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने के लिए सूर्य के प्रति गहरी कृतज्ञता की भावना महसूस करें। 'O सूर्याय नमः' का अर्थ है 'अंधेरे को दूर करने वाला।' संक्षेप में इसका अर्थ है कि हम सूर्य की उपासना हमें प्रकाश देने के लिए करते हैं।

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर बताते हैं, "जिस प्रकार परमाणु के केंद्र में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं और इलेक्ट्रॉन केवल परिधि होते हैं, वही हमारे जीवन के साथ होता है। हमारे अस्तित्व का केंद्र बिंदु आनंद, सकारात्मकता और आनंद है। लेकिन यह नकारात्मक आयनों के बादल से घिरा हुआ है। मंत्र (संस्कृत मंत्र) नकारात्मकता के इस बादल को दूर करते हैं। नामजप से वातावरण सकारात्मक स्पंदनों से भर जाता है और ऐसे स्थान पर ध्यान सहज और सहज हो जाता है।"


Surya Namaskar Pranam Mantra  |सूर्य नमस्कार मंत्र 

सूर्य नमस्कार मंत्र, सूर्य को समर्पित एक प्राचीन और पौराणिक अभ्यास है जो सम्पूर्ण देह को सुजीवन और स्वस्थ बनाए रखने के लिए किया जाता है। सूर्य नमस्कार के दौरान, कई मंत्रों का जाप किया जाता है, जो सूर्य देव की पूजा और स्तुति में हैं। निम्नलिखित है सूर्य नमस्कार के प्रमुख मंत्र, उनका अर्थ और उच्चारण:

सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र


1. सूर्य नमस्कार का पहला मंत्र
प्रणाम मंत्र (Pranama Mantra):

   - मंत्र: ॐ मित्राय नमः

   - अर्थ: मैं मित्रा (सूर्य देव) को नमस्कार करता हूँ।


2. हस्त उत्तानासन मंत्र (Hasta Uttanasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ रवये नमः

   - अर्थ: मैं सूर्य देव (रवि) को नमस्कार करता हूँ।


3. पादाहस्तासन मंत्र (Padahastasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ सूर्याय नमः

   - अर्थ: मैं सूर्य (सूर्या) को नमस्कार करता हूँ।


4. आश्वासन मंत्र (Ashwa Sanchalanasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ भानवे नमः

   - अर्थ: मैं भानु (भानवे) को नमस्कार करता हूँ।


5. पर्वतासन मंत्र (Parvatasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ खगाय नमः

   - अर्थ: मैं खग (खगाय) को नमस्कार करता हूँ।


6. आश्वासन मंत्र (Ashwa Sanchalanasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ पूषणे नमः

   - अर्थ: मैं पूषण (पूषणे) को नमस्कार करता हूँ।


7. हस्त पादासन मंत्र (Hasta Padasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ हिरण्यगर्भाय नमः

   - अर्थ: मैं हिरण्यगर्भ (हिरण्यगर्भाय) को नमस्कार करता हूँ।


8. धनुरासन मंत्र (Dhanurasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ मरीचये नमः

   - अर्थ: मैं मरीचि (मरीचये) को नमस्कार करता हूँ।


9. आश्वासन मंत्र (Ashwa Sanchalanasana Mantra):

   - मंत्र: ॐ आदित्याय नमः

   - अर्थ: मैं आदित्य (आदित्याय) को नमस्कार करता हूँ।


10. प्रणाम मंत्र (Pranama Mantra):

    - मंत्र: ॐ सवित्रे नमः

    - अर्थ: मैं सविता (सवित्रे) को नमस्कार करता हूँ।


इन मंत्रों के साथ सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। यह सुबह के समय किया जाता है और शक्तिशाली सूर्य देव की पूजा का एक अद्वितीय तरीका है।



सूर्य नमस्कार बीज मंत्र |  Surya Namaskar  Beej Mantra


ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः । ॐ सूर्याय नम: ।


 सूर्य नमस्कार मंत्र के फायदे  | Sun Salutation Benefits


सूर्य नमस्कार एक प्राचीन और पौराणिक योगासन है जो सूर्य देव की पूजा का अद्वितीय रूप है। इस योगाभ्यास के साथ जुड़े हुए मंत्रों का जाप करने के कई फायदे हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य फायदे हैं:


1. शारीरिक सुधार:

   - सूर्य नमस्कार एक पूर्ण शारीरिक व्यायाम है जो सभी शरीर के अंगों को सक्रिय करता है। यह शरीर को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है, साथ ही लात-थोड़े, पेट, कमर, हड्डियों, मांसपेशियों, और तंतु तंतु को लचीला बनाए रखता है।


2. श्वास-तंत्र की सुधार:

   - सूर्य नमस्कार श्वास-तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है, जिससे सुधारित फिजिओलॉजिकल प्रदर्शन होता है। इससे सांस लेने की क्षमता बढ़ती है और रेस्पिरेटरी सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।


3. मानसिक स्वास्थ्य:

   - सूर्य नमस्कार के दौरान मंत्रों का जाप करना ध्यान और मानसिक स्थिति में सुधार करने में मदद करता है। यह मानसिक स्थिति को स्थिर रखकर स्त्रेस को कम करने में सहायक हो सकता है।


4. शक्ति और स्थायिता:

   - सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति को शक्तिशाली बनाए रखने में मदद करता है। यह शारीरिक और मानसिक स्थिति को स्थायी रूप से बनाए रखने में मदद करता है।


5. वजन नियंत्रण:

   - सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से शरीर का संरचना सही बनी रहती है और वजन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह वजन घटाने या बढ़ाने में सहायक हो सकता है, आत्म-निगरानी बढ़ा सकता है और सुस्ती और जल्दी को दूर कर सकता है।


6. अच्छा  स्वस्थ्य:

   - सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य सुधारता है और बीमारियों के खिलाफ रक्षा करता है। यह सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।


7. कंट्रोल ओवर क्रमशः:

   - सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से शरीर की सहज गतियों को नियंत्रित करना सीखा जा सकता है, जिससे कंट्रोल ओवर क्रमशः (coordination) में सुधार होता है।


सूर्य नमस्कार को नियमित रूप से अभ्यास करने से शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। तात्पर्य, इसका अभ्यास स्वस्थ और सकारात्मक जीवन की दिशा में कदम उठाने में मदद कर सकता है।



सूर्य नमस्कार मंत्र   | Sun Salutation Sequence for Beginners


 सूर्य नमस्कार क्रम:| sun Salutation Poses

Sun Salutation Yoga

1. प्रणामासन (Pranamasana):

   - स्थिति: खड़ा रहें, पैरों को मिलाकर।

   - हृदय से हाथ जोड़ें और प्रणाम करें।

   - ध्यान रखें: "ॐ मित्राय नमः"


2. हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana):

   - स्थिति: हाथों को उच्च करें, अर्ध चक्रासन बनाएं।

   - ध्यान रखें: "ॐ रवये नमः"


3. पादाहस्तासन (Padahastasana):

   - स्थिति: हाथों को ज़मीन की ओर ले जाएं, पैरों को सीधा करें।

   - ध्यान रखें: "ॐ सूर्याय नमः"


4. आश्वासन (Ashwa Sanchalanasana):

   - स्थिति: एक पैर को पीछे बढ़ाएं, घुटना ज़मीन पर रखें, दूसरा पैर आगे बढ़ाएं।

   - ध्यान रखें: "ॐ भानवे नमः"


5. पर्वतासन (Parvatasana):

   - स्थिति: घुटनों को ऊपर उठाएं, हड्डियों को सीधा करें, शरीर को उच्च करें।

   - ध्यान रखें: "ॐ खगाय नमः"


6. आश्वासन (Ashwa Sanchalanasana):

   - स्थिति: पूर्व की तरह, दूसरा पैर भी आगे बढ़ाएं।

   - ध्यान रखें: "ॐ पूषणे नमः"


7. हस्त पादासन (Hasta Padasana):

   - स्थिति: हाथों को ज़मीन पर रखें, सीधे पैरों के पास जाएं।

   - ध्यान रखें: "ॐ हिरण्यगर्भाय नमः"


8. धनुरासन (Dhanurasana):

   - स्थिति: पैट बाँधकर शरीर को ऊपर उठाएं, हाथों को पैट पकड़ें।

   - ध्यान रखें: "ॐ मरीचये नमः"


9. आश्वासन (Ashwa Sanchalanasana):

   - स्थिति: पूर्व की तरह, शरीर को ऊपर उठाएं, पैरों को आगे बढ़ाएं।

   - ध्यान रखें: "ॐ आदित्याय नमः"


10. प्रणामासन (Pranamasana):

    - स्थिति: समाप्त होने पर प्रणाम करें।

    - ध्यान रखें: "ॐ सवित्रे नमः"


नोट: शुरुआती योगी को पहले इन आसनों को सीधे से करना चाहिए और धीरे-धीरे अध


िक स्तर के आसनों की ओर बढ़ना चाहिए। अपनी श्वास को ध्यान में रखें और हर आसन को सही तरीके से करने का प्रयास करें।

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