कुंदकेश्वर महादेव के उपाय | Kundkeshwar Mahadev Ke Upay

 Kundkeshwar Mahadev Ke Upay  | कुंदकेश्वर महादेव  के उपाय 


कुण्डकेश्वर महादेव का पूजन भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में महत्वपूर्ण है। इस महादेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय और पूजा विधियाँ हैं। यहां कुछ कुण्डकेश्वर महादेव के उपाय दिए जा रहे हैं:


1. रुद्राभिषेक:

   कुण्डकेश्वर महादेव की पूजा के लिए रुद्राभिषेक एक प्रमुख उपाय है। इसमें शिवलिंग पर पंचामृत (दही, घी, शर्करा, दूध, शहद) का समर्पण किया जाता है। इसके साथ ही, बेलपत्र, धतूरा, धूप, दीप, और फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।

2. महामृत्युंजय मंत्र:

   महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी कुण्डकेश्वर महादेव की कृपा प्राप्ति में सहायक हो सकता है। "ॐ हौं जूं सः" यह मंत्र कुण्डकेश्वर महादेव को समर्पित है। 

3. शिव चालीसा:

   शिव चालीसा का पाठ करना भी महादेव की कृपा प्राप्ति में मदद कर सकता है। 

4. व्रत और उपासना:

   कुण्डकेश्वर महादेव के लिए व्रत रखना और नियमित उपासना करना भी उपयुक्त है। 

5. दान और पुण्य कार्य:

   शिव भक्ति में बढ़त के लिए दान और पुण्य कार्यों में भाग लेना भी महत्वपूर्ण है।


कुंदकेश्वर महादेव Mandir kaha hai

 झाबुआ जिले के पेटलावद में स्थित कुंदकेश्वर महादेव मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया है। पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा सुझाए गए उपायों के माध्यम से लोग अपनी समस्याओं को दूर करने और भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए इस मंदिर का सही से उपयोग कर रहे हैं।

यह साफ दिखता है कि सावन के महीने में श्रद्धालुओं का मंदिर में आगमन विशेष रूप से होता है और उनकी पूजा-अर्चना भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाती है। पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा बताए गए उपायों का पालन करने से भक्त न शिव के प्रति अपनी श्रद्धा बनाए रखता है बल्कि अपनी समस्याओं का समाधान भी प्राप्त करता है।

इस उपाय में, व्यक्ति को दवा खाने से पहले भगवान के नाम का स्मरण करने की सलाह दी जा रही है और उनसे अपनी आराधना करके दवा को शुद्ध भावना के साथ लेने का प्रार्थना करने का सुझाव दिया जा रहा है। यह उपाय व्यक्ति को आत्मा के साथ संवाद में लाने का प्रयास करता है और उसे आत्मा की ऊर्जा का अनुभव करने में मदद कर सकता है।

यह एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आए उपाय का हिस्सा है जो आत्मिक शक्ति और सुस्तरी में वृद्धि को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। इसमें श्रद्धा, आत्मविश्वास, और पूर्णता की दिशा में विशेषाधिकार की जाती है। इस उपाय में, कुंदकेश्वर महादेव के नाम का जाप रोगनिवारण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।

पंडित मिश्रा का कहना है कि जो व्यक्ति किसी गंभीर रोग से पीड़ित है और जांच कराने का निर्णय लेता है, वह कुंदकेश्वर महादेव के नाम का स्मरण करते हुए भगवान से उपासना करता है ताकि उसकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आए और उसे गंभीर बीमारी से मुक्ति मिले।

यह एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से रोग निवारण की कड़ी में अपनी ऊर्जा को समर्पित करने का एक तरीका है और श्रद्धा और आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है। यह व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है और उसे गंभीर बीमारियों से बचने के लिए प्रेरित कर सकता है।


कुंदकेश्वर महादेव मंत्र | Kundkeshwar Mahadev Mahamantra

जिसमें ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने का महत्वपूर्ण भूमिका है। यह मंत्र महादेव शिव को समर्पित है और उनसे कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का साधन है।

रुद्राक्ष माला का जाप करना एक प्रमुख आध्यात्मिक अभ्यास है जो व्यक्ति को आत्मा के साथ संबंधित करता है और मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और आत्मिक विकास की दिशा में मदद कर सकता है। जप के साथ बिल्वपत्र का चढ़ावा और जल समर्पण भी पूजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।



कुंडेश्वर महादेव मंत्र के फायदे | Kundkeshwar Mahadev mantra Benefits

 अगर आप किसी कठिन बीमारी या समस्या का सामना कर रहें है तो इस मंत्र का जाप कर सकते हैं. ये सबसे बड़ी समस्याओं और बाधाओं से बचा जाता है. 

  ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ ||


कुंदकेश्वर महादेव कथा 
| Kundkeshwar Mahadev Katha

चंदनवन स्थित महर्षि सांदीपनि के आश्रम में अति प्राचीन श्री कुंडेश्वर महादेव का मंदिर विद्यमान है यह मंदिर उज्जैन के 84 महादेव में से 40 नंबर पर आता है ! उज्जैन में 84 महादेव प्रसिद्ध है !

जहां पर भगवान शंकर किसी न किसी कारणवश उस शिवलिंग में प्रकट हुए और तपस्वियों को वरदान देते थे ! आज भी 84 महादेव अवंतिका पुरी में विराजमान है !

श्रावण मास और हर 3 वर्ष में एक बार आने वाले पुरुषोत्तम मास में इन 84 महादेव की यात्रा होती है जिसके फलस्वरूप 8400000 योनियों से मुक्ति मिलती है सांदीपनि आश्रम परिसर स्थित 84 महादेव में 40 नंबर पर आने वाली श्री कुंडेश्वर महादेव विराजमान है इनकी भी एक कथा प्रसिद्ध है जो निम्न है !एक बार की बात है भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती बड़े वेग से नंदी पर बैठकर भ्रमण के लिए निकले , महाकाल वन पहुंचकर माता पार्वती को बड़ी थकान महसूस होने लगी, थकी हुई पार्वती को देखकर भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती से कहा पार्वती तुम यहीं पर विराजमान हो ताकि तुम्हारी थकान दूर हो जाएगी ! मैं थोड़ा आगे तक घूम कर आता हूं , और तुम्हारी सुरक्षा के लिए मेरा यह गण जिसका नाम कुंड है और नंदी तुम्हारे साथ रहेंगे ऐसा कहकर भगवान भोलेनाथ आगे की ओर प्रस्थान कर गए, प्रतीक्षा करते हुए माता पार्वती को कइ प्रहर बीत गए भोलेनाथ नहीं आए तो उन्हें काफी चिंता सताने लगी माता पार्वती निकुंज नामक गणों को आज्ञा दी कि तुम जाओ और भगवान शंकर का पता करके आओ कुंड ने माता से कहां माता भगवान महादेव ने मुझे आप की सुरक्षा के लिए यहां नियुक्त किया है !

माता के आदेश की अवहेलना को देख माता पार्वती अत्यंत क्रोधित हो गई और क्रोध वश उन्होंने कुंड को मनुष्य योनि में जाने का शाप दे डाला बहुत अनुनय विनय करने पर माताजी ने कहा हे कुंड मेरा श्राप कभी खाली नहीं जात ,लेकिन तुम यही महाकाल वन स्थित चंदन वन में भगवान शिव की उपासना करो तो तुम्हारा उद्धार हो जाएगा


भगवान शंकर जब वापस लौटे तो श्राप के बारे में उन्हें ज्ञात हुआ तो बड़ा दुख हुआ , लेकिन थोड़े वर्षों के बाद भगवान भोलेनाथ शिवलिंग में से प्रकट हुए जिसके सामने कुंड नामक गण तपस्या कर रहा था और कुंड को वापस शगुन के रूप में शामिल करने का वरदान दिया ! तो एक प्राचीन पद्धति कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण से मिलने भगवान महादेव पधारे थे ! यह तिथि कार्तिक मास की वैकुंठ चतुर्दशी पर आती है , उस दिन हरि कृष्ण और हर महादेव का मिलन हुआ था ,अवंतिका नगरी भगवान शिव की नगरी कहलाती है ! भगवान शिव इस नगरी के अधिपति मालिक हैं और भगवान श्री कृष्ण यहां मेहमान स्वरूप इस नगरी में आए हुए थे, अपने अभ्यागत अतिथि का हाल चाल पूछने के लिए भगवान भोलेनाथ 33 करोड़ देवी देवताओं के साथ कार्तिक मास की बैकुंठ चतुर्दशी पर पधारे थे ! दोनों ने एक दूसरे का परस्पर अभिवादन किया तत्पश्चात भगवान कृष्ण और कुंडेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन किया गया ! सभी देवगण और समस्त युवाओं की उपस्थिति में यह पूजन संपन्न हुआ इस दिन भगवान शिव को तुलसी अर्पित की गई और भगवान श्री कृष्ण को विलपत्र अर्पण किया गया! तभी से कुंडेश्वर महादेव का स्थान हरिहर मिलन स्थल के नाम से प्रसिद्ध हुआ , आज भी वर्तमान में यहां एक शिवलिंग स्थापित है यहां पर अति प्राचीन प्रतिमा खड़े हुए नंदी की हैं यहां खड़ा हुआ नंदी आदर्श सेवा और सत्कार का प्रतीक है

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