"अपने जीवन में ऊर्जा, शांति, और आत्मा के संग सहित संपूर्णता की दिशा में कदम बढ़ाएं: जानें ईशा योग क्रिया के साथ नए स्वरूप में आत्मा का अनुभव करें"| Isha Kriya Meditation

ईशा क्रिया  ध्यान | Isha Kriya Meditation



ईशा योग क्रिया | Isha Kriya Meditation


""Isha Kriya" एक साधना है जो सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा शिक्षित की जाती है और यह एक आसान ध्यान तकनीक है जिसका उद्देश्य आत्मा की शांति और अंतर्दृष्टि को बढ़ाना है। यह ध्यान विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से किया जाना चाहिए और इसे आसानी से घर पर किया जा सकता है।

यहां "Isha Kriya" की कुछ आधारिक जानकारी है हिंदी में:

ध्यान की तकनीक:
1. पूर्व प्रस्थान (Preparation): एक शांत और सुखद स्थान चयन करें, जहां आप बिना किसी व्याधि के सीधे बैठ सकें।
2. आँखें बंद करें (Closing Eyes): आराम से बैठें और आँखें बंद करें।
3. ध्यानाभ्यास (Guided Meditation): सद्गुरु जी के ध्यान में शामिल होने के लिए आवश्यक गाइडेड सत्र को सुनें और उनके अनुसार ध्यान करें।
4. मंत्र "ईशा केन्द्र किया" का जाप (Chanting the Mantra): ध्यान के दौरान, "ईशा केन्द्र किया" मंत्र का जाप करें, जिससे मानसिक शांति मिले।

समापन (Conclusion):
1. ध्यान के बाद धीरे-धीरे आंखें खोलें और ध्यान से बाहर निकलें।
2. धन्यवाद अर्पित करें और शांति के साथ अपने दिन का कार्य सुरक्षित रूप से जारी रखें।

इस ध्यान तकनीक को नियमित रूप से प्रैक्टिस करने से आत्मा के साथ संबंध स्थापित होने का अनुभव हो सकता है और यह मानव जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने में मदद कर सकता है।



ईशा योग क्रिया   | Isha Kriya Steps

ईशा क्रिया एक साधना है जो सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा शिक्षित की जाती है और यह आत्मा की शांति और सुख-शान्ति को प्राप्त करने के लिए है। यह ध्यान तकनीक आसान है और इसे किसी भी योग्यता स्तर के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। नीचे दिए गए हैं ईशा क्रिया को करने के लिए कदम:

कदम 1: तैयारी
1. एक शांत और सुखद स्थान चुनें जहां आप बिना किसी व्याधि के समय बिता सकते हैं।
2. आँखें बंद करें और ध्यान केंद्रित होने के लिए आत्मा को तैयार करें।

कदम 2: ध्यान तकनीक
3. गाइडेड आवश्यकता के अनुसार, सद्गुरु जी के साथ ध्यान करना शुरू करें।
4. आत्मा को मुख्य केंद्रित करें और अपनी आत्मा को समर्पित करें।
5. आत्मा की महान ऊँचाई में सद्गुरु जी के साथ एकाग्रता बनाए रखें।
6. मंत्र "ईशा क्रिया" का जाप करें और मानसिक शांति एवं संतुलन प्राप्त करें।

कदम 3: समापन
7. ध्यान से बाहर निकलने से पहले धीरे-धीरे आंखें खोलें।
8. आत्मनिवेदन और आभार अर्पित करें, और शांति के साथ अपने दिन का कार्य शुरू करें।

यह ध्यान तकनीक नियमित रूप से प्रैक्टिस करने से आपका शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य सुधार सकता है और शांति एवं संतुलन की अद्भुत अनुभूति करा सकता है।


ईशा क्रिया के फायदे  | Isha Kriya Benefits


ईशा क्रिया को नियमित रूप से प्रैक्टिस करने से आपको शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य में कई फायदे हो सकते हैं। यह ध्यान तकनीक आपको निम्नलिखित रूपों में सुधार करने में मदद कर सकती है:

1. मानसिक शांति: ईशा क्रिया का अभ्यास करने से मानसिक तनाव कम हो सकता है और मानसिक शांति में सुधार हो सकता है। यह चिंता, अशांति, और स्त्रेस को कम करने में मदद कर सकता है।

2. शारीरिक सुधार: ईशा क्रिया आपके शारीर को आराम प्रदान करने और तंतु-मस्तिष्क सुधारने में मदद कर सकती है। यह संबंधित सूचनाओं को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे शारीरिक तंतुलता बनी रह सकती है।

3. आत्मिक अनुभूति: यह क्रिया आत्मा के साथ एकाग्रता बढ़ा सकती है और आत्मिक अनुभूति का अनुभव करने में मदद कर सकती है। यह आपको अपने आत्मा के साथ संपर्क में लाने की अनुभूति करा सकती है।

4. आत्म-समर्पण: ईशा क्रिया के माध्यम से आप आत्म-समर्पण में वृद्धि कर सकते हैं, जिससे आपकी जीवनशैली में एकाग्रता और सकारात्मकता बनी रह सकती है।

5. नैतिकता और संबंध: ध्यान और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से, ईशा क्रिया आपको अपने आत्मा की ओर बढ़ने में मदद कर सकती है जो नैतिकता, सहानुभूति, और सहयोग की भावना को बढ़ा सकता है।


 

Jaggi Vasudev (Sadhguru) Biography  | जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) जीवन परिचय

सदगुरु जगदीश वासुदेव जी का जन्म 3 सितंबर 1957 को मैसूर, कर्नाटक, भारत में हुआ था। उनका वास्तविक नाम जगदीश वासुदेव था। उनके माता-पिता की भक्ति की भावना ने उन्हें धार्मिकता की ओर प्रवृत्ति करने में प्रेरित किया।

उनका बचपन साधु-संतों के संग में बिता, और वह गहन साधना और तत्वज्ञान की ओर बढ़ते रहे। उन्होंने विशेष रूप से अपने जीवन को ध्यान, साधना, और आध्यात्मिक अनुसंधान में समर्पित किया।

सदगुरु जगदीश वासुदेव जी ने बाल्यकाल से ही योग और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलना शुरू किया और उन्होंने भारतीय संस्कृति, योग, और ध्यान के आद्यात्मिक सिद्धांतों का अध्ययन किया।

उन्होंने अपने जीवन को योग के अध्ययन, उसमें साधना और सेवा में समर्पित किया और फिर एक दिन चामुंडा की पहाड़ी पर आत्मा के साक्षात्कार में प्रवृत्त हो गए।

इसके बाद, सदगुरु ने योग और आध्यात्मिकता को लोगों के बीच फैलाने का कार्य शुरू किया और 1993 में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की। आज, उनका आदर्श जीवन और योग की शिक्षा दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित कर रहा है।

सदगुरु जगदीश वासुदेव जी ने विभिन्न योग कार्यक्रमों, शिविरों, और आध्यात्मिक वार्षिक महोत्सवों के माध्यम से लोगों को आत्मा के

 साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन किया है।

सदगुरु जगदीश वासुदेव जी का संदेश है कि योग से ही व्यक्ति असली खुशी, स्वास्थ्य, और आत्मा के साक्षात्कार की प्राप्ति कर सकता है।

 

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