ध्यान क्या है और कैसे करे | Dhyan Kya Hai
ध्यान का अर्थ | Dhyan meaning
ध्यान का शाब्दिक अर्थ सोचना, मनन करना, एकाग्रता से मन को किसी एक विषय पर स्थिर करना होता है। यह एक साधना है जिसमें व्यक्ति अपने मन को एक विशिष्ट विषय या चीज पर फोकस करने का प्रयास करता है। ध्यान का उद्दीपना आत्मा की अंतर्दृष्टि, शांति, और सात्विक चेतना को बढ़ावा देना हो सकता है।
यह भी किसी धार्मिक अभ्यास का हिस्सा हो सकता है, जैसे कि योग और ध्यान विधियाँ, जो मानव जीवन में आत्मा के साथ संबंधित हैं। योग और ध्यान का प्रैक्टिस आत्मा के अद्वितीयता, मानव असीमित पोटेंशियल, और चेतना के उन्नत स्थिति की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
सामान्य रूप से, ध्यान का अभ्यास मानसिक शांति, ताजगी, और आत्मिक समृद्धि की प्राप्ति में सहायक हो सकता है और व्यक्ति को जीवन के साथीकरण में मदद कर सकता है।
ध्यान योग | Meditation Dhyan yog
- ध्यान योग एक प्रकार का योग है जिसमें मुख्य ध्यान का प्रैक्टिस किया जाता है। ध्यान योग का मुख्य उद्देश्य मन को एकाग्रता, शांति और आत्मा के साथ संबंधितता की स्थिति में लाना है। यह योग विशेष रूप से मानव चेतना के अद्वितीयता को अनुभव करने और उससे जुड़े समस्त संजीवनी गुणों को विकसित करने का प्रयास करता है।
- ध्यान योग में व्यक्ति अपने मन को एक स्थिति में स्थिर रखने के लिए विभिन्न ध्यान तकनीकों का अभ्यास करता है। ध्यान का प्रैक्टिस ध्यानासन, प्राणायाम, और मंत्रों का जाप जैसे तकनीकों को शामिल कर सकता है। यह योग व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है और उसे आत्मा के अद्वितीयता का अनुभव करने में मदद कर सकता है।
- ध्यान योग के अभ्यास से व्यक्ति मानसिक स्थिति में स्थिरता, चेतना का विकास, और आत्मा के साथ संबंधितता में वृद्धि का अनुभव कर सकता है। यह योग अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में विभिन्न रूपों में प्रचलित है।
ध्यान योग के फायदे | Dhyan ke labh
ध्यान योग का नियमित अभ्यास करने से कई तरह के फायदे हो सकते हैं, जो मानव शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। यहां कुछ मुख्य ध्यान योग के फायदे हैं:
1. मानसिक शांति: ध्यान योग का अभ्यास मानसिक चंचलता को कम करने में मदद करता है और मन को एकाग्रता में लाने का क्षमता प्रदान करता है। इससे मानव चिंता, स्ट्रेस, और उदासी को कम कर सकता है।
2. शारीरिक स्वास्थ्य का सुधार: ध्यान योग के अभ्यास से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करने, हृदय की स्वास्थ्य को बनाए रखने, और शारीरिक सकारात्मकता में सुधार करने में मदद कर सकता है।
3. बेहतर मानसिक स्थिति: ध्यान योग व्यक्ति को सकारात्मकता, स्वास्थ्यी रहने की भावना, और अच्छे संबंध बनाए रखने में मदद कर सकता है।
4. आत्मा के साथ संबंधितता: यह योग आत्मा के साथ संबंधितता में वृद्धि करने में मदद कर सकता है, जिससे व्यक्ति अपने असली स्वरूप को समझने में सफल हो सकता है।
5. नैतिक मौल्यों का समर्थन: ध्यान योग व्यक्ति को नैतिक मौल्यों, उदारता, और सहानुभूति की भावना में वृद्धि कर सकता है, जिससे समाज में उच्चता और सहयोग की भावना बनी रहती है।
6. तंत्रिक शक्ति का विकास: ध्यान योग के अभ्यास से मानव में तंत्रिक शक्ति बढ़ सकती है और वह अपने अद्वितीय संभावनाओं को खोल सकता है।
7. सामंजस्य और एकाग्रता: ध्यान योग के प्रैक्टिस से व्यक्ति को अपने आत्मा और परिवर्तनीयता के साथ संबंधित एकाग्रता की अनुभूति होती है, जिससे सामंजस्य, समर्पण, और समर्थन में सुधार हो सकता है।
ये फायदे ध्यान योग के अभ्यास के तौर पर होते हैं, लेकिन यह जरूरी है कि योग नियमित और सही रूप से किया जाए ताकि इन फायदों को प्राप्त करना संभव हो।
ध्यान योग के प्रकार | Dhyan ke prakar
ध्यान योग में कई प्रकार की तकनीकें हैं, जो व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मा के साथ संबंधितता, और चिन्हित लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं। यहां कुछ प्रमुख ध्यान योग के प्रकार हैं:
1. विपश्याना (Vipassana) ध्यान: इस योग में ध्यानासन के साथ साथ श्वास की निगरानी करने का प्रयास किया जाता है। यह योग व्यक्ति को विचार और ज्ञान का अनुसरण करने का अभ्यास करता है, जिससे उसे अपने मानसिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलती है।
2. त्राटक (Trataka) ध्यान: इस योग में ध्यानासन के दौरान किसी एक चित्र, मूर्ति, या धुप की शिखा को देखकर या उस पर ध्यान केंद्रित करके मन को एकाग्रता में लाने का प्रयास किया जाता है।
3. जाप (Japa) ध्यान: इस योग में व्यक्ति मंत्रों का जप करके ध्यान का अभ्यास करता है। मंत्रों को स्वरूप, शब्द, या ध्वनि के साथ जप किया जा सकता है।
4. क्रिया योग (Kriya Yoga) ध्यान: यह योग प्राणायाम, मुद्रा, और आवेगशून्य अवस्था का समाहित ध्यान को संजीवनी गुणों की प्राप्ति के लिए उपयोगी माना जाता है।
5. सहज योग (Sahaja Yoga) ध्यान: इस योग में व्यक्ति को नैर्मल और स्वाभाविक ध्यान की स्थिति में रहने का अभ्यास कराया जाता है। यह ध्यान निर्दिष्ट कार्यों या माध्यमों के बिना किया जाता है।
6. नाद योग (Nada Yoga) ध्यान: इस योग में व्यक्ति अपनी आत्मा के आध्यात्मिक ध्वनियों का अनुसरण करता है, जो अंतर्निहित शांति और उच्च आत्मिकता का अनुभव करने में मदद करती हैं।
ये सभी ध्यान योग के प्रकार विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं और व्यक्ति को अपने चिन्हित लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद कर सकते हैं। ध्यान का प्रैक्टिस व्यक्ति को आत्मा के साथ संबंधितता में बढ़ोतरी दिलाने में सहायक होता है और उसे मानव जीवन को सकारात्मक और शान्तिपूर्ण रूप में जीने के लिए प्रेरित करता है।
ध्यान कैसे करें | Dhyan Meditation kaise kare
ध्यान करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैं:
1. शांति स्थान का चयन करें: ध्यान के लिए एक शांत स्थान चयन करें जहां आपको किसी भी प्रकार की अधिक तटस्थता नहीं होती है। यह स्थान आपको आत्मा के साथ संबंधितता को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
2. सही आसन: ध्यान के लिए सही आसन चुनें। आसन स्थिर और सुखद होना चाहिए, जैसे कि पद्मासन, सुखासन, या वज्रासन।
3. सही पोषण: ध्यान के प्रैक्टिस के लिए भोजन का सही तरीके से करें। हल्का और सात्विक आहार का सेवन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
4. श्वास निगरानी: ध्यान के दौरान श्वास की निगरानी करें। धीमे, गहरे और सामंजस्यपूर्ण श्वास लेकर आत्मा की ओर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
5. मंत्र जप: कुछ लोग ध्यान के दौरान मंत्र जप करते हैं। यह ध्यान को एक स्थिर और एकाग्र की अवस्था में लाने में मदद कर सकता है।
6. ध्यानाभ्यास: शुरुआत में, समय के साथ ध्यान की सीधी प्राकृतिक प्रक्रिया को धारित करने के लिए सब्र रखें। ध्यान को अभ्यास से ही मास्टर किया जा सकता है।
7. सकारात्मक भावना: ध्यान के दौरान सकारात्मक भावना को बनाए रखें। अपने चिन्हित लक्ष्यों के प्रति आत्मविश्वास और प्रेम का अभ्यास करें।
8. नियमितता: ध्यान को नियमित रूप से करने का प्रयास करें। नियमितता से ही ध्यान के फायदे होते हैं।
ध्यान को सीखने में समय लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे आत्मा के साथ संबंधितता में वृद्धि होती है और यह आपको जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने की क्षमता प्रदान कर सकता है।
- सांसों पर ध्यान कैसे लगाएं
सांसों पर ध्यान लगाना ध्यान योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह आपको अपने श्वास के माध्यम से मन को एकाग्र करने में मदद कर सकता है। यहां कुछ कदम दिए जा रहे हैं जो आपको सांसों पर ध्यान लगाने में मदद कर सकते हैं:
1. ध्यानासन चुनें: ध्यान करते समय सही आसन का चयन करना महत्वपूर्ण है। सुखासन, पद्मासन, या वज्रासन जैसे स्थिर और आरामदायक आसनों में बैठना विकल्प हो सकता है।
2. श्वास का ध्यान: ध्यान का प्रारंभ श्वास के ध्यान से करें। धीरे-धीरे और सही तरीके से श्वास लेकर श्वास के प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करें।
3. ध्यानीत होने के लिए उदाहरण का चयन: श्वास के साथ जुड़े हुए उदाहरण का चयन करें, जैसे कि "ओम" या "सो-हम"। इसे स्वस्थ और प्रेरणादायक मंत्रों के साथ सही कर सकते हैं।
4. ध्यान से श्वास का अनुसरण: श्वास के साथ जुड़े हुए मन को ध्यानित रखें और ध्यान से हर श्वास को महसूस करें।
5. ध्यानीत होकर श्वास की गहराईयों में जाएं: श्वास की गहराईयों में जाकर उसका अनुभव करें। श्वास की प्रवाह में, इसके आने और जाने की गति में, और श्वास के साथ सामंजस्यपूर्णता में ध्यानित रहें।
6. ध्यान की दृष्टि से श्वास का परिचय: श्वास को सांस की दृष्टि से देखने का प्रयास करें। यह आपको श्वास के संरचना और चलन को समझने में मदद कर सकता है।
7. ध्यान में विघ्नों को छोड़ें: शान्त माहौल में ध्यान में रहने का प्रयास करें और आगंतुक विचारों को दूर करने के लिए प्रयास करें।
श्वास पर ध्यान लगाना एक साधना है जो मानव जीवन को स्वास्थ्यपूर्ण और आत्मानुभव से भर देती है। यह एक शांतिपूर्ण अभ्यास है जो दिनचर्या में एक नियमित स्थान पा सकता है।
- ध्यान करते समय क्या सोचना चाहिए
ध्यान के समय मन को शांत और एकाग्र करने का प्रयास किया जाता है, और इसमें विचारों को स्थिर करने का भी एक अभ्यास होता है। यहां कुछ उपयुक्त दिशा दी जा रही है जो आपको ध्यान के समय मन को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं:
1. शांति का अनुभव करें: ध्यान का मुख्य उद्देश्य मानसिक शांति और स्थिरता है। ध्यान के समय इस शांति का अनुभव करने का प्रयास करें।
2. श्वास का ध्यान: श्वास की गहराईयों में ध्यान केंद्रित करने से आप मानसिक चंचलता को कम कर सकते हैं।
3. आत्मा के स्वरूप का विचार: आत्मा का ध्यान करते समय उसके अद्वितीय और शुद्ध स्वरूप का विचार करें। आत्मा सर्वशक्तिमान और अनंत है।
4. ध्यान मंत्र का जप: कुछ लोग ध्यान के समय मंत्र जप करके मन को स्थिर करने का प्रयास करते हैं। यह विचारों को हरा देने में मदद कर सकता है।
5. आभास करें, नहीं सोचें: मन के विचारों को सोचने की जगह, उन्हें आभास करने का प्रयास करें। उन्हें आने और जाने की गति को महसूस करें।
6. ध्यान के उद्देश्य पर ध्यान करें: ध्यान करते समय अपने ध्यान के उद्देश्य पर समर्थन करें। यह आपको मन को एक स्थान पर केंद्रित करने में मदद कर सकता है।
7. ध्यान का आनंद लें: ध्यान को एक आनंदपूर्ण अनुभव मानें। इसे एक संतुलनपूर्ण और प्रिय अभ्यास मानें, न कि कोई कठिनाई।
8. भावनाओं को बेहद निष्कर्ष रूप से देखें: विचारों को बेहद निष्कर्ष रूप से देखने का प्रयास करें, जैसे कि एक निवेदन के रूप में, ना कि उनमें खोने के रूप में।
ध्यान के समय सोचना चाहिए कि यह एक प्रैक्टिस है जो आपको मानसिक स्थिति को शांत करने और आत्मा से जुड़ने में मदद करती है, इसलिए आपको उत्तेजना और चिंता मुक्त रहना चाहिए।
- आत्मा का ध्यान कैसे करें
आत्मा का ध्यान करना एक अद्भुत अनुभव है जो आपको अपने असली स्वरूप के साथ जोड़ने में मदद कर सकता है। यहां कुछ सरल तकनीकें हैं जो आपको आत्मा के साथ एकाग्र होने में सहायक हो सकती हैं:
1. शांति और नैत्रार्य: ध्यान करने के लिए एक शांत और नैत्रार्य माहौल बनाएं। एक चुनौतीपूर्ण स्थान चुनें जहां आपको शांति मिल सकती है और जिसमें आपको दिव्यता का अनुभव हो सकता है।
2. आसन और ध्यान मुद्रा: सुखासन, पद्मासन जैसे आसन का चयन करें और हाथों की ध्यान मुद्रा बनाएं। इससे मन को एकाग्र करने में मदद हो सकती है।
3. श्वास का ध्यान: ध्यान की शुरुआत श्वास के ध्यान से करें। गहरी और सुंदर श्वास लेते हुए ध्यान को शुरू करें।
4. आत्मा का नाम जप: आत्मा के साथ जुड़ने के लिए मन्त्र जप करें, जैसे कि "अहं ब्रह्मास्मि" या "सो-हम"। इसे ध्यान में रहते हुए आत्मा के साथ जोड़ने के लिए कर सकते हैं।
5. स्थितप्रज्ञता: मन की चंचलता को नियंत्रित करने के लिए ध्यान को स्थितप्रज्ञता की दिशा में ले जाएं। मन के विभिन्न विचारों को देखने का प्रयास करें और उन्हें शांति में ला कर ध्यान में रहने का प्रयास करें।
6. प्रेम और कृतज्ञता: आत्मा के साथ जुड़ने के लिए भावनात्मक रूप से ध्यान में रहें। आत्मा के प्रति प्रेम और कृतज्ञता की भावना रखें।
7. आत्मा के स्वरूप का विचार: ध्यान करते समय आत्मा के स्वरूप का विचार करें। आत्मा अनंत, अज्ञेय, और शाश्वत है।
8. नियमितता: आत्मा का ध्यान नियमितता से ही फलकारी हो सकता है। यदि समय की कमी हो, तो भी ध्यान को नियमित रूप से करना हमेशा संभव है।
यह ध्यान का अभ्यास शान्ति, आत्मा के साथ संबंध, और अच्छे स्वास्थ्य का स्रोत हो सकता है। इसे धीरे-धीरे, श्रद्धाभक्ति से और नियमितता से करें।
- ध्यान केंद्रित कैसे करें
ध्यान केंद्रित करना मानसिक स्थिति को एक स्थिर और एकाग्र रूप में लाने का एक प्रैक्टिकल तकनीक है। यहां कुछ सरल और प्रभावी तकनीकें हैं जो आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती हैं:
1. ध्यान आसन: सुखासन, पद्मासन या वज्रासन जैसे स्थिर आसन का चयन करें। ये आसन शारीरिक स्थिति को स्थिर रखने में मदद करते हैं और आपको ध्यान केंद्रित करने में सहायक हो सकते हैं।
2. श्वास का ध्यान: ध्यान की शुरुआत श्वास के ध्यान से करें। धीरे से और गहराई से श्वास लेते हुए इसे महसूस करें।
3. ध्यान मुद्रा: हाथों की ध्यान मुद्रा बनाएं, जैसे कि चिन मुद्रा या ग्यान मुद्रा, जो मन को एकाग्र करने में मदद कर सकती हैं।
4. ध्यान का उद्देश्य: ध्यान करते समय एक स्पष्ट उद्देश्य रखें। यह उद्देश्य आपको ध्यान को केंद्रित रखने में मदद कर सकता है।
5. मंत्र जप: कुछ लोग ध्यान केंद्रित करने के लिए मंत्र जप का अभ्यास करते हैं। "ओम" या "सो-हम" जैसे मंत्र का जप करके मन को स्थिर करें।
6. आत्मा का ध्यान: आत्मा के साथ जुड़ने का प्रयास करें। आत्मा को सांसों या मंत्रों के माध्यम से महसूस करने का प्रयास करें।
7. दृष्टि का ध्यान: आंखें बंद करके या ध्यानी दृष्टि को एक स्थिर स्थान पर रखकर ध्यान करें। यह मानसिक चंचलता को कम करने में मदद कर सकता है।
8. आभास करें, नहीं सोचें: मन के विचारों को सोचने की जगह, उन्हें आभास करने का प्रयास करें। इन विचारों को आने और जाने की गति को महसूस करें।
9. नियमितता: ध्यान को नियमित रूप से करना महत्वपूर्ण है। यह आपको ध्यान की अभ्यास को स्थायी बनाए रखने में मदद कर सकता है।
- मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए
मेडिटेशन को लेकर यह निर्भर करता है कि आपके लक्ष्य क्या हैं और आपका स्वाभाव कैसा है। यह निर्भर करता है कि क्या आप एक नए ध्यानी या एक अनुभवी ध्यानी हैं, और क्या आप इसे शामिल करना चाहते हैं।
1. शुरुआती ध्यानी: अगर आप शुरुआती हैं, तो 5-10 मिनट का समय शुरूआत के लिए काफी हो सकता है। धीरे-धीरे आप इस समय को बढ़ा सकते हैं जब आप महसूस करें कि आपकी प्रैक्टिस में स्थिरता आ रही है।
2. नियमित ध्यानी: यदि आप नियमित ध्यानी हैं, तो 15-30 मिनट का समय रोज़ाना या उपयुक्त लगे वक्ति के अनुसार हो सकता है।
3. अनुभवी ध्यानी: अनुभवी ध्यानी लोग अधिक समय तक ध्यान कर सकते हैं, जैसे कि 30 मिनट से लेकर एक घंटे तक या उससे भी अधिक।
ध्यान का मुख्य उद्देश्य शांति, साकारात्मकता, और चित्तशुद्धि है, इसलिए इसे कितना समय करना चाहिए यह आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और समय की उपलब्धता पर निर्भर करता है।
ध्यान की अधिकता की बजाय, नियमितता और आत्म-अनुभूति को महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप ध्यान को एक नियमित अभ्यास बना लेते हैं, तो आपको इसके फायदे महसूस हो सकते हैं।
ओम का ध्यान कैसे करें
"ॐ" या "ओम" एक पवित्र मंत्र है जिसे ध्यान करना आत्मा के साथ जुड़ने और मानसिक शांति को प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तकनीक है। यहां "ॐ" के ध्यान को कैसे किया जा सकता है, इसका सरल विवरण है:
1. आसन चयन: एक सुखासन या पद्मासन जैसा स्थिर और आरामदायक आसन चुनें। यह आपको ध्यान करते समय सुखद अनुभव करने में मदद करेगा।
2. श्वास का ध्यान: ध्यान की शुरुआत गहराई से और धीरे से श्वास लेते हुए करें। यह मानसिक चंचलता को कम करने में मदद कर सकता है।
3. ध्यान मुद्रा: हाथों की ध्यान मुद्रा बनाएं, जैसे कि चिन मुद्रा या ग्यान मुद्रा, जो मन को एकाग्र करने में मदद कर सकती हैं।
4. आत्मा का नाम जप: "ॐ" या "ओम" का जप करते समय मानसिक रूप से महसूस करें। आप इसे ध्यान में रहते हुए आत्मा के साथ जोड़ने के लिए कर सकते हैं।
5. ध्यान का उद्देश्य: ध्यान करते समय एक स्पष्ट उद्देश्य रखें। यह उद्देश्य आपको ध्यान को केंद्रित रखने में मदद कर सकता है।
6. आत्मा के साथ संबंध में भावना: "ॐ" का ध्यान करते समय आप आत्मा के साथ अपना संबंध महसूस करें। इसे एक अनंत, अद्वितीय और शुद्ध आत्मा के साथ जोड़ने का अवसर बनाएं।
7. आभास करें, नहीं सोचें: मन के विचारों को सोचने की जगह, उन्हें आभास करने का प्रयास करें। उन्हें आने और जाने की गति को महसूस करें।
8. नियमितता: ध्यान को नियमित रूप से करना महत्वपूर्ण है। यह आपको ध्यान की अभ्यास को स्थायी बनाए रखने में मदद कर सकता है।
यह सभी तकनीकें आपको "ॐ" के ध्यान में मदद कर सकती हैं और आपको आत्मा के साथ एकाग्र बनाए रखने में मदद कर सकती हैं। ध्यान में आत्मा के साथ संबंध को महसूस करने के लिए धीरज रखें और यह प्रैक्टिस नियमित रूप से करें।
- मेडिटेशन के नुकसान
मेडिटेशन एक सकारात्मक और सांत्वना भरा अभ्यास है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह नुकसान कर सकता है। यहां कुछ सामान्य मेडिटेशन के नुकसान हैं:
1. ध्यान की गलत तकनीकें: यदि किसी ने सही तकनीक सीखने के बजाय गलत तकनीकों का अभ्यास किया है, तो यह नुकसानकारी हो सकता है। गलत तकनीकों का अनुसरण करने से शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
2. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: कुछ लोगों के लिए ध्यान का प्रैक्टिस अधिक एकाग्रता का कारण होकर चिंता और चिन्हित बन सकता है, जिससे उन्हें बुरी तरह की बीमारी हो सकती है।
3. सामाजिक बाधाएं: कई बार, ध्यान का प्रैक्टिस करने का समय नहीं मिलने, और इससे व्यक्ति सामाजिक बाधाओं का सामना कर सकता है।
4. अद्यतित स्थितियाँ: कुछ लोगों के लिए, विशेषकर अस्तित्व ध्यान या विचारमग्नता की अवस्था में, सामाजिक और नैतिक दायित्वों की अनदेखी हो सकती है, जिससे वे या उनके आस-पास के लोगों को हानि हो सकती है।
5. ध्यान में नींद आना: कुछ लोगों को ध्यान के दौरान नींद आ सकती है, जिससे उन्हें उस समय का सही अनुभव नहीं हो पता है।
6. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: किसी के लिए ध्यान का प्रैक्टिस बढ़ते स्तर की चिंता, अवसाद या अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
मेडिटेशन करने से पहले, यह अच्छा होता है कि आप एक योग्य गाइडेंस लें ताकि आप सही तकनीकें सीख सकें और आप अपने ध्यान को सुरक्षित रूप से कर सकें। यदि आपको लगता है कि आप किसी तरह की समस्या से गुजर रहे हैं, तो सबसे अच्छा है कि आप एक स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह प्राप्त करें।