काल भैरव जयंती 2023 | Kaal Bhairav Jayanti
काल भैरव कौन है
काल भैरव हिन्दू धर्म में एक महाकाल स्वरूप देवता है जो भगवान शिव का एक स्वरूप है। वह भगवान शिव के एक अत्यंत उग्र और भयंकर रूप को प्रतिष्ठित करते हैं। काल भैरव का अर्थ होता है 'समय का भयानक स्वरूप' या 'मृत्यु का भयानक स्वरूप'।
काल भैरव का ध्यान करने वाले मान्यता है कि वह अपने भक्तों को संसारिक और आध्यात्मिक समस्याओं से मुक्ति प्रदान करते हैं और उन्हें सफलता, भूतपूर्व शक्ति, और भयहीनता प्रदान करते हैं। काल भैरव की पूजा भक्तों को दैहिक और मानसिक समृद्धि के लिए किया जाता है और उन्हें भगवान की कृपा मिलती है।
काल भैरव जयंती 2023 | Kala Bhairava Ashtami 2023
यह तिथि 5 दिसंबर, मंगलवार
काल भैरव अष्टकम | Kala Bhairava Ashtakam
काल भैरव अष्टक
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥
॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥
काल भैरव के 8 नाम | Kala Bhairava 8 Name
पुराणों में भैरव का उल्लेख
- रुद्र-भैरव,
- चंद्र-भैरव,
- क्रोध-भैरव,
- उन्मत्त-भैरव,
- कपाली-भैरव,
- असितांग-भैरव,
- भीषण-भैरव तथा
- संहार-भैरव।
काल भैरव मंत्र | Kala Bhairava Mantra
काल भैरव सिद्धि मंत्र
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
बटुक भैरव मंत्र | Batuk Bhairav Mantra
काल भैरव सिद्धि मंत्र
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
बटुक भैरव बीज मंत्र | Batuk Bhairav Beej Mantra
ऊँ बं बटुक भैरवाय नमः ||
काल भैरव मंदिर कहां है
काल भैरव मंदिर उज्जैन
काल भैरव मंदिर उज्जैन, मध्यप्रदेश, भारत में स्थित है और यह एक प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। उज्जैन नगर निगम क्षेत्र में स्थित इस मंदिर में काल भैरव को पूजा जाता है, जो एक अत्यंत उग्र रूप में परिचित हैं।
यह मंदिर भगवान काल भैरव को समर्पित है और इसे महाकाल भैरव के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर कुमार मराठा राजा स्कान्द के द्वारा बनवाया गया था और बाद में इसे मालवा के होलकर राजवंश के महाराजा विक्रमादित्य ने पुनः संस्कार किया था।
मंदिर के प्रमुख दरवाजे पर एक बड़ा वैष्णव शक्तिपीठ है जिसे "महाकालेश्वर" कहा जाता है। मंदिर के अंदर भी अनेक छोटे मंदिर हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
काल भैरव मंदिर उज्जैन भक्तों के बीच एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और महाकाली यात्रा का एक हिस्सा भी है। महाकाली यात्रा में काल भैरव मंदिर को दर्शन करना महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां भक्तों को आशीर्वाद और शक्ति मिलती हैं।
काल भैरव आरती | Kaal Bhairav Aarti
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
कालभैरव स्तोत्र | Kalbhairav Stotra
नमो भैरवदेवाय नित्यायानंद मूर्तये ।
विधिशास्त्रांत मार्गाय वेदशास्त्रार्थ दर्शिने ॥ १ ॥
दिगंबराय कालाय नम: खट्वांग धारिणे ।
विभूतिविल सद्भाल नेत्रायार्धेंदुमोलिने ॥ २ ॥
कुमारप्रभवे तुभ्यं बटुकाय महात्मने ।
नमोsचिंत्य प्रभावाय त्रिशूलायुधधारिणे ॥ ३ ॥
नमः खड्गमहाधार ह्रतत्रैलोक्य भितये ।
पुरितविश्र्व विश्र्वाय विश्र्वपालायते नमः ॥ ४ ॥
भुतावासाय भूताय भूतानां पतये नमः ।
अष्टमूर्ते नमस्तुभ्यं कालकालायते नमः ॥ ५ ॥
कंकाला याति घोराय क्षेत्रपालाय कामिने ।
कलाकाष्ठादिरुपाय कालाय क्षेत्र वासीने ॥ ६ ॥
नमः क्षत्रजित तुभ्यं विराजे ज्ञानशालिने ।
विधानां गुरवे तुभ्यं निधीनांपतये नमः ॥ ७ ॥
नमः प्रपंच दोर्दंड दैत्यदर्प विनाशिने ।
निज भक्तजनोद्दाम हर्ष प्रवर दायिने ॥ ८ ॥
नमो दंभारिमुख्याय नामैश्र्वर्याष्ट दायिने ।
अनंत दुःख संसार पारावारांत दर्शने ॥ ९ ॥
नमो दंभाय मोहाय द्वेषायोच्चोटकारिणे ।
वशंकराय राजन्य मौलिन्यस्य निजांघ्रये ॥ १० ॥
नमो भक्तापदा हंत्रे स्मृतिमात्रार्थ दर्शिने ।
आनंदमूर्तये तुभ्यं स्मशान निलयायते ॥ ११ ॥
वेताळभूत कुश्मांड ग्रहसेवा विलासिने ।
दिगंबराय महते पिशाचाकृति शालिने ॥ १२ ॥
नमो ब्रह्मादिभिर्वंद्द पदरेणु वरायुषे ।
ब्रह्मादि ग्रास दक्षाय निःफलाय नमो नमः ॥ १३ ॥
नमः काशीनिवासाय नमो दंडकवासिने ।
नमोsनंत प्रबोधाय भैरवाय नमो नमः ॥ १४ ॥
श्री कालभैरव स्तोत्र संपूर्णम् ॥ श्री कालभैरवार्पणंsस्तु ॥
शुभं भवतु ॥
काल भैरव की पूजा करने से क्या होता | Benefits of Kala Bhairava Puja
काल भैरव की पूजा करने से विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ हो सकता है, और इससे भक्त को आत्मिक और सांसारिक समृद्धि मिल सकती है. यहां कुछ काल भैरव की पूजा के लाभों की बातें हैं:
1. मानसिक शांति: काल भैरव की पूजा करने से मानसिक चिंता और अशांति को दूर किया जा सकता है। भक्त अपने मन को शुद्ध करके ध्यान केंद्रित करता है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है.
2. सांसारिक समृद्धि: काल भैरव की पूजा से सांसारिक समस्याएं दूर हो सकती हैं और व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक स्तर पर समृद्धि प्राप्त हो सकती है.
3. भूतपूर्व शक्ति: काल भैरव की पूजा से भक्तों को अद्भुत और भूतपूर्व शक्तियां प्राप्त हो सकती हैं, जो उन्हें अधिक सामर्थ्यशाली बना सकती हैं.
4. कठिनाईयों का निवारण: काल भैरव की कृपा से व्यक्ति अपनी जीवन में आने वाली कठिनाईयों को पार कर सकता है और समस्याएं सुलझा सकता है.
5. आत्मा की उन्नति: काल भैरव की पूजा से भक्त आत्मा की उन्नति की ओर बढ़ सकता है, जिससे उसे अपने आत्मिक स्वरूप का अध्ययन करने में मदद मिलती है.
6. भगवान के साथ संबंध: काल भैरव की पूजा करके भक्त भगवान के साथ एक आत्मिक संबंध बना सकता है और उसे अपने जीवन में एक दिव्य दृष्टिकोण प्राप्त हो सकता है.
काल भैरव की पूजाविधि
काल भैरव की पूजाविधि को अच्छी तरह से आचार्यों और पुराणों से लिया गया है। निम्नलिखित है काल भैरव की पूजा करने का सामान्य तरीका:
पूजा की तैयारी:
1. स्नान: पूजा के पहले भक्त को प्रात: काल में स्नान करना चाहिए। यह शुद्धि की भावना को बढ़ावा देता है।
2. व्रत संकल्प: भक्त को इस विशेष दिन काल भैरव की पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसमें भक्त को अपनी श्रद्धा और भक्ति का इज़हार करना चाहिए।
पूजा क्रिया:
1. देवता-देवी पूजा: पूजा की शुरुआत में भक्त को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
2. काल भैरव को पूजन: काल भैरव की मूर्ति के सामने बैठकर, उन्हें हल्दी और कुमकुम से तिलक लगाएं। इसके बाद उन्हें फूल, फल, नैवेद्य, पान, इमरती, नारियल, और चारहारी ब्राह्मणों को भोग लगाएं।
3. आरती: आरती गाने के बाद, चौमुखी दीपक को जलाकर आरती करें।
4. भैरव चालीसा और शिव चालीसा पाठ: पूजा के अंत में, काल भैरव चालीसा और शिव चालीसा का पाठ करें।
रात्रि पूजा:
1. मंदिर यात्रा: रात्रि को काल भैरव के मंदिर जाकर उन्हें धूप, दीपक, चारहारी, और श्वान ब्राह्मणों के साथ पूजन करें।
2. चालीसा पाठ: फिर काल भैरव चालीसा, शिव चालीसा और कालभैरवाष्टक का पाठ करें।
3. दीप और धूप: उन्हें दीपक और धूप से पूजन करें और उन्हें आरती दें।
4. भैरव के वाहन को भोग: काल भैरव के वाहन के रूप में श्वान को मीठी चीजों से भोग लगाएं।
काल भैरव | Kal Bhairava
काल भैरव का प्रसाद:
काल भैरव के मंदिरों में भक्तों को विभिन्न प्रकार के प्रसाद मिलते हैं, जैसे कि चना, गुड़, बालूशाही, और बाकी कुछ मिठाईयां। यह प्रसाद भक्तों के द्वारा आदर्शता से लिया जाता है और उन्हें आशीर्वाद मिलता है माना जाता है।
काल भैरव मंदिर का रहस्य:
काल भैरव मंदिरों का रहस्य उनके अत्यंत उग्र और भयानक रूप में होने के साथ-साथ, उनके मंदिरों में विशेष पूजा विधि और उनके पर्यावरण के कारण हो सकता है। इन मंदिरों का दौरा करने से भक्तों को आत्मिक सुधार और भैरव की कृपा मिलने की आशा होती है।
काल भैरव की कहानी:
काल भैरव की कई कहानियां हैं, लेकिन एक प्रमुख कहानी है कि वे ब्रह्मा के अहंकार को दूर करने के लिए शिव द्वारा बनाए गए थे। इस कहानी में, भैरव ने ब्रह्मा का पंचमुख शिर छीन लिया था, जिससे ब्रह्मा का अहंकार दूर हुआ और वह शिव की भक्ति में रत हो गए।
काल भैरव शराब क्यों पीते हैं:
काल भैरव को शराब का प्रिय भोग माना जाता है। इसका सिद्धांत यह है कि शराब व्यक्ति को भौतिक और मानसिक संबंधों से मुक्ति प्रदान करती है, और काल भैरव को यह प्रिय है क्योंकि वे समय के स्वामी हैं और इसे प्रबंधन करते हैं। हालांकि, इसे एक पूर्वाग्रह निवारण या अन्य धार्मिक परंपराओं में प्रतिष्ठानित किया जाना चाहिए, और व्यक्ति को अपने धर्म के मापदंडों के अनुसार चलना चाहिए।
काल भैरव की उत्पत्ति:
काल भैरव की उत्पत्ति कई पुराणिक कथाओं में हो सकती है, लेकिन एक कथा के अनुसार, वे ब्रह्मा के अहंकार को दूर करने के लिए शिव द्वारा बनाए गए थे।
भैरव बाबा की जन्म कथा:
भैरव बाबा की जन्म कथा भी कई प्राचीन पुराणों में मिलती हैं, लेकिन एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, वे भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र थे। इस कथा के अनुसार, भैरव बाबा की जन्म को शिव के क्रोध से जोड़ा जाता है और उनका उग्र रूप उनके माता-पिता के बीच उत्पन्न होने के बाद देखा जाता है।
काल भैरवाष्टमी के उपाय | Kala Bhairava Ashtami Upay
काल भैरवाष्टमी के दिन कुछ आचरण और उपायों के माध्यम से आप इस विशेष दिन को और भी पवित्र बना सकते हैं:
1. काल भैरव मंत्र जप: काल भैरवाष्टमी के दिन "ॐ ह्रीं क्लीं बैरवाय नम:" या "ॐ क्रीं काल भैरवाय नम:" इस प्रकार के मंत्रों का जप करना शुभ होता है।
2. व्रत और पूजा: काल भैरवाष्टमी के दिन निराहारी रहने और काल भैरव की पूजा करने से विशेष लाभ होता है। भगवान के लिए बिल्वपत्र, चंदन, केसर, बताशे, गुड़, और बाकी प्रिय भोगों को चढ़ाना चाहिए।
3. ध्यान और मेडिटेशन: काल भैरव की उपासना में ध्यान और मेडिटेशन का महत्वपूर्ण स्थान है। ध्यान और मेडिटेशन से मन को शांति और तात्कालिक उत्कृष्टता मिलती है।
4. दान और सेवा: काल भैरवाष्टमी के दिन दान और सेवा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गरीबों को आहार, वस्त्र, और धनवन्ति का दान करना चाहिए।
5. गूंथा गुड़ व्रत: कुछ लोग काल भैरवाष्टमी के दिन गूंथा गुड़ व्रत रखते हैं। इसमें व्रती व्यक्ति गुड़ की माला बनाता है और फिर उसे भगवान काल भैरव को अर्पित करता है।
6. काल भैरव के मंदिर जाएं: काल भैरव के मंदिरों में जाना भी इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बना सकता है। मंदिरों में भगवान की पूजा और आरती में भाग लेना शुभ होता है।
7. काल भैरव की छाया में बैठें: इस दिन यदि संभव हो तो काल भैरव के मंदिर की छाया में बैठना अत्यंत शुभ होता है। यह आपको आत्मा के शांति और सुकून का अहसास कराता है।
8. बैल के साथ भूमि पूजन: काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग बैल के साथ भूमि पूजन करते हैं। इसमें व्रती व्यक्ति बैल के साथ भूमि पर बैठकर पूजा करता है और भगवान काल भैरव की कृपा की प्रार्थना करता है।