नीम करौली बाबा | Kainchidham

नीम करौली बाबा मंत्र | Neem Karoli Baba Mantra

 

 नीम करोली बाबा की कहानी

नीम करौली बाबा का जीवन परिचय

 बाबा नीब करौरी ने इस स्थान पर 1964 में आश्रम बनाया था। यहां बाबा 1961 में पहली बार आए थे। अपने एक मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर उन्होंने यहां आश्रम बनाने का फैसला लिया। 10 सितंबर, 1973 को बाबा ने अपने देह को त्याग दिया। मगर आज भी उनकी अस्थियां यहां सुरक्षित हैं। वही आश्रम आस्था का बड़ा धाम बन गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। श्रद्धालु बाबा नीब करौरी को हनुमान बाबा का धरती पर दूसरा रूप मानते हैं। उनका असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और उनका जन्म उम्र के अकबरपुर गांव में 1900 में हुआ। भव्य मंदिर का रूप ले चुके कैंची धाम में मां दुर्गा, वैष्णो देवी, हनुमान जी और राधा कृष्ण की मूर्तियां हैं। बाबा का कमरा और मूर्तियां उसी तरह सुरक्षित हैं, जैसे बाबा के समय थीं। उनकी निजी वस्तुएं, जैसे-गद्दी, कंबल, छड़ी आज भी वैसे ही उस कमरे में मौजूद है, जिसमें बाबा सोया या बैठा करते थे।

नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है

नीम करोली बाबा के चमत्कार

बाबा अलौकिक शक्तियों के स्वामी माने जाते थे। आडंबरों से दूर बाबा के माथे पर नत्रिपुण्ड लगा होता था, न गले में जनेऊ न कंठमाला देह पर साधुओं वाले वस्त्र भी कभी धारण नहीं किए। आश्रम आने वाले भक्त जब उनके पैर छूने लगते थे तो वे कहते थे पैर मंदिर में बैठे हनुमान बाबा के छुओ सहज और सरल स्वभाव के धनी बावा ने कभी किसी को आकर्षित करने की कोशिश नहीं की। उनके विदेशी भक्त व जाने-माने लेखक रिचर्ड एलपर्ट ने 'मिरेकल ऑफ लव' नाम से पुस्तक लिखीजिसमें बाबा के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है।

नीम करोली बाबा के शिष्य

जूलिया पर बाबा का जादू

हॉलीवुड एक्टर्स जूलिया राबर्ट्स को अचानक एक बार बाबा की तस्वीर के कहीं दर्शन हो गए। देखते ही पता नहीं उनमें क्या हुआ कि बाबा की मुरीद हो गई और उनके बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ गई। फिर उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया। अमेरिका के एबीसी न्यूज चैनल के इंटरव्यू में जूलिया ने स्वीकारा कि यह सब मुझे नहीं पता कि कैसे हुआ है पर बाबा की कृपा से मैने सही फैसला लिया है।


बाबा के मुरीद मार्क जुकरवर्ग

कैंची धाम के बुजुर्ग सेक्रेटरी विनोद जोशी बताते हैं कि कुछ साल पहले अमेरिका से लैरी ब्रिलियंट का फोन आया था कि मार्क एक दिन की यात्रा पर बाबा के दर्शन को आना चाहते हैं। जोशी के अनुसार जब जुकरबर्ग आए, तब उनके हाथ में एक किताब थी और जीस पैरों पर हल्की फटी हुई थी। वे पंतनगर आए और वहां से यहां पहुंचे थे। यहां आकर बोले, मन है कि और रुकूं पर....। इतना कहते हुए वे बाबा के कक्ष में मत्था टेक ही रहे थे कि कुछ देर बाद मौसम बदलने लगा और बारिश शुरू हो गई। वह
भी इतनी तेज कि आवागमन बाधित हो गया और उन्हें दो दिन आश्रम में ही बिताने पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जुकरबर्ग ने उनसे कहा भी था कि वे एक महीने भारत की यात्रा पर गए थे, उस समय उत्तराखंड में कैची धाम पहुंचने की इच्छा हुई और वहां एक दिन की जगह दो दिन बिताकर जब लौटा तो अच्छे दिन आ गए। मार्क ने कंचीधाम की यह यात्रा ऐपल के फाउंडर स्टीव जाब्स की सलाह पर की थी।


ऐपल के कटे सेव का रहस्य

जिस ऐपल कंपनी ने दुनिया में धूम मचा रखी है, उसके फाउंडर स्टीव जॉब्स भी बाबा के दर्शन को पहुंचे थे। बाबा से आशीर्वाद लिया और बैठे थे कि भूख लग आई। उन्होंने इच्छा जताई कि बाबा ने कुछ खाया हुआ सेब उठाकर उन्हें दे दिया। उससे पेट की भूख तो शांत हो गई, साथ ही उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। स्टीव जॉब्स ने उस कटे हुए सेब को ऐपल कंपनी का लोगो बना दिया।।


संकटमोचन हनुमान धाम

बाबा नीब करौरी महाराज ने एक धाम नैनीताल। जिले के कैंची में बनाया, तो दूसरा हिमाचल में। शिमला की सुरम्य वादियों में तारा देवी पहाड़ी पर कुटिया बनाकर बाबा 10-12 दिन ही रुके थे। यहां योग-ध्यान करते हुए उनके मन में कुटिया की जगह हनुमान मंदिर बनाने की इच्छा जागृत हुई और यह बात उन्होंने अनुवादियों को बताई। 1962 में हिमाचल के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गर्वनर राजा बजरंग बहादुर सिंह (भद्री रियासत के राजा) ने यहां मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया। 21 जून, 1966 दिन मंगलवार को इसका शुभारंभ हुआ। इसको इतना अद्भुत बनाया गया है कि शिमला आने वाले पर्यटक यहां गए बिना नहीं रह पाते।


कैंची धाम कैसे पहुंचे

आप अगर बाबा के आश्रम कैंची धाम दर्शन के लिए आना चाहते हैं, तो दिल्ली से काठगोदाम के लिए सीधे ट्रेन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतर कर वहां से टैक्सी ले सकते हैं। अगर रोडवेज की बस से जाना चाहते हैं, तो पहले हल्द्वानी पहुंचे। वहां से वाया भवाली होते हुए अल्मोड़ा वाली रोडवेज बस में बैठें या फिर सीधे टैक्सी सेवा ले लें। हल्द्वानी और काठगोदाम एक ही शहर के दो हिस्से हैं, लेकिन हल्द्वानी बस स्टैंड पहले और काठगोदाम बाद में पड़ेगा।

नैनीताल से 38 किमी. दूर भवाली के रास्ते में कैची धाम पड़ता है।

 

 नीम करोली बाबा का मंत्र | Neem Karoli Baba Mantra

 

मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन । करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।।

श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।। कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।

चौपाई

जय जय नीम करोली बाबा , कृपा करहु आवे सदभावा।।

कैसे मैं तव स्तुति बखानू ।नाम ग्राम कछु मैं नही जानू।।

जापे कृपा दृष्टि तुम करहु। रोग शोक दुख दारिद हरहु।।

तुम्हरे रुप लोग नही जाने। जापे कृपा करहु सोई भाने।।

करि दे अरपन सब तन मन धन | पावे सुख आलौकिक सोई जन।।

दरस परस प्रभु जो तव करई। सुख संपत्ति तिनके घर भरई।।

जै जै संत भक्त सुखदायक। रिद्धि सिद्धि सब संपत्ति दायक।।

तुम ही विष्णु राम श्रीकृष्ण। विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा।।

जै जै जै जै श्री भगवंता। तुम हो साक्षात भगवंता।।

कही विभीषण ने जो वानी। परम सत्य करि अब मैं मानी।।

बिनु हरि कृपा मिलहिं नही संता। सो करि कृपा करहिं दुःख अंता।।

सोई भरोस मेरे उर आयो । जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो।।

जो सुमिरै तुमको उर माही । ताकी विपत्ति नष्ट ह्वे जाई।।

जय जय जय गुरुदेव हमारे। सबहि भाँति हम भये तिहारे।।

हम पर कृपा शीघ्र अब करहु। परम शांति दे दुख सब हरहु।।

रोक शोक दुःख सब मिट जावे। जपे राम रामहि को ध्यावे।।

जा विधि होइ परम कल्याना । सोई विधि आपु देहु वारदाना।।

सबहि भाँति हरि ही को पूजे। राग द्वेष द्वन्दन सो जूझे।।

करें सदा संतन कि सेवा। तुम सब विधी सब लायक देवा।।

सब कुछ दे हमको निस्तारो । भवसागर से पार उतारो।।

मैं प्रभु शरण तिहारी आयो। सब पुण्यन को फल है पायो।।

जय जय जय गुरु देव तुम्हारी। बार बार जाऊ बलिहारी।।

सर्वत्र सदा घर घर की जानो । रखो सुखों ही नित खानों।।

भेष वस्त्र हैं, सदा ऐसे। जाने नहीं कोई साधु जैसे।।

ऐसी है प्रभु रहनी तुम्हारी । वाणी कहो रहस्यमय भारी।।

नास्तिक हूँ आस्तिक ह्वे जाए। जब स्वामी चेटक दिखलावे।।

सब ही धरमन के अनुनायी। तुम्हे मनावे शीश झुकाई ।।

नही कोउ स्वारथ नही कोई इच्छा। वितरण कर देउ भक्तन भिक्षा।।

केही विधि प्रभु मैं तुम्हे मनाऊ। जासो कृपा प्रसाद तव पाऊं।।

साधु सुजन के तुम रखवारे। भक्तन के हो सदा सहारे।।

दुष्टऊ शरण आनी जब परई । पूरण इच्छा उनकी करई।।

यह संतन करि सहज सुभाउ। सुनि आश्चर्य करई जनि काउ।।

ऐसी करहु आप दया।निर्मल हो जाए मन और काया।।

धर्म कर्म में रुचि हो जावे। जो जन नित तव स्तुति गावे।।

आवे सदगुन तापे भारी। सुख संपत्ति सोई पावे सारी।।

होइ तासु सब पूरण कामा। अंत समय पावे विश्रामा।।

चारी पदारथ है, जग माही। तव कृपा प्रसाद कछु दुर्लभ नाही।।

त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी । हरहु सकल मम विपदा भारी।।

धन्य धन्य बढ़ भाग्य हमारो। पावे दरस परस तव न्यारो।।

कर्महीन अरु बुद्धि विहीना। तव प्रसाद कछु वर्णन कीन्हा।।

दोहा-

श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।।

कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।

नीम करोली बाबा कहते हैं कि हमेशा भगवान पर भरोसा करें और किसी बात की चिंता नहीं करें. यदि जीवन में चुनौती आए तो भगवान और अपने आप पर पूरा भरोसा रखते हुए आत्‍मविश्‍वास से उसका सामना करें, भगवान आपकी मदद जरूर करेगा. आपकी जीत जरूर होगी.   

नीम करोली बाबा का स्थान कहां है: नीम करोली बाबा को चमत्कारिक बाबा में से एक माना जाता है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में सन् 1900 के आस पास हुआ था.

नीम करोली बाबा की मृत्यु कब हुई :11 September 1973

 

नीम करौली प्रवचन |  Neem Karoli Baba Saying

  •  नीम करौली बाबा कहते हैं कि आदमी के पास पैसा तभी आता है, जब वह उसे खर्च करता है. जब तक वह पैसा खर्च नहीं करेगा, तब तक उसके जीवन में धन का प्रवाह नहीं बना रहता है. यही वजह है कि पैसे कमाने भी चाहिए और खर्च भी जरूर करने चाहिए. साथ ही व्यक्ति को बचत भी करनी चाहिए. कुल मिलाकर जीवन में धन का संतुलन बना रहना चाहिए.
  • नीम करौली बाबा के अनुसार, ऐसा व्‍यक्ति जिसका आचरण अच्‍छा हो, जो ईश्‍वर में विश्वास करता हो और अच्‍छे कर्म करता हो, उसके ऊपर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है. ऐसा व्‍यक्ति जल्‍दी अमीर बनता है.
  • बाबा के अनुसार, जो व्‍यक्ति अपनी आय का एक हिस्‍सा दान-धर्म में लगाता हो, असहाय लोगों की मदद करता हो, उसके पास भी कभी धन-दौलत की कमी नहीं होती है. इसलिए व्यक्ति को हमेशा जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, अपनी आय से दान-धर्म के काम करने चाहिए. ऐसा करने से भी व्‍यक्ति धनवान बनता है.


नीम करौली बाबा आश्रम |  Neem Karoli Baba Ashram

FAQ

1. नीम करोली पहुंचने के तरीके |  Kainchi Dham Reaching  - नीम करोली को बस, ट्रेन, या अन्य सारे साराहित माध्यमों से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट से  पंतनगर एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट को पकड़ना होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंतनगर एयरपोर्ट से कैंची धाम की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है।

2. कैंची धाम के निकटतम रेलवे स्टेशन
|  Kainchi Dham Nearest Railway Station -  कैंची धाम का नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। जो कि कैंची धाम से लगभग 43 किलोमीटर दूर है। यहां आने के लिए आपको अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन से काठगोदाम रेलवे स्टेशन के लिए टिकट लेना होगा। उसके बाद आप काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतर कर कैंची धाम बस अथवा टैक्सी से जा सकते हैं।

3. कैंची धाम में रुकने की व्यवस्था 
| Kainchi Dham Hotels   - कैंची धाम में रुकने के लिए होटल, धर्मशाला, या अन्य आवास सुविधाएं उपलब्ध  हैं।
   - पूजा और यात्रा से जुड़ी सुविधाएं भी मौजूद  हैं।

4.कैंची धाम से हरिद्वार की दूरी:   -5 hr 58 min (257.8 km) via NH734


5. कैंची धाम से नैनीताल की दूरी  | Kainchi Dham to Nainital Distance  -45 min (19.8 km) via NH109



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