स्यमन्तक मणि की कहानी | Shamantakamani Story

 स्यमन्तक मणि की कहानी | Shamantakamani Katha


 Ganesh Chaturthi 2023: चंद्र दर्शन से लगे कलंक को मिटाने का आसान उपाय, सुनें यह कथा

Ganesh Chaturthi 2023 शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना गया है। कहा जाता है ​कि इस दिन चंद्र दर्शन से व्यक्ति पर मिथ्या आरोप या कलंक लगता है। 

 

स्यमंतक मणि की कथा | Shamantakamani Katha

Ganesh Chaturthi 2023: इस वर्ष गणेश चतुर्थी का उत्सव 18 सितंबर दिन सोमवार को होगा। इस दिन भगवान गणपति की विधि विधान से पूजा की जाती है। उनको पूजा में विशेष रूप से दूर्वा अर्पित करते हैं और मोदी का भोग लगाते हैं। वे प्रसन्न होकर हमारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। शास्त्रों में चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्र दर्शन से व्यक्ति पर मिथ्या आरोप या कलंक लगता है, इसलिए इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए।



हालांकि इस दिन आपने चंद्रमा को देख लिया है तो शास्त्रों में इससे लगे कलंक को दूर करने के उपाय भी बताए गए हैं। इस दिन आप मात्र एक कथा सुनकर इस कलंक को दूर कर सकते हैं। कहा जाता है कि चतुर्थी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने चंद्रमा देख लिया था, तब उन पर भी कलंक लगा था।

कलंक निवारण उपाय

कलंक निवारण के लिए स्यमन्तक मणि की कथा सुननी चाहिए। आइए जानते हैं इस कथा के बारे में - भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका पुरी में सत्राजित ने सूर्य की उपासना से सूर्य के समान प्रकाशवाली और प्रतिदिन आठ भार सुवर्ण देने वाली 'स्यमन्तक' मणि प्राप्त की थी। उसे एक बार संदेह हुआ कि श्रीकृष्ण इस मणि को छीन लेगें।

इस बात को सोचकर उसने वह 'स्यमन्तक' मणि अपने भाई प्रसेन को पहना दी। एक दिन प्रसेन वन मे शिकार करने गया था, उसी दौरान एक सिंह ने उसे अपना निवाला बना लिया। इस तरह वह 'स्यमन्तक' मणि उस सिंह के पास चली गई। सिंह से वह मणि ‘जाम्बवान' ने छीन लिया।

इससे श्रीकृष्ण पर यह कलंक लग गया कि 'स्यमन्तक' मणि के लोभ से उन्होंने प्रसेन को मार डाला। अन्तर्यामी श्रीकृष्ण को पता चला कि वह मणि जाम्बवान के पास है, तो वह जाम्बवान की गुफा में चले गए। उस मणि के लिए दोनों में 21 दिनों तक घोर युद्ध हुआ।

श्रीकृष्ण ने जाम्बवान को पराजित कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप श्रीकृष्ण स्यमन्तक मणि और जाम्बवान की पुत्री जाम्बवती प्राप्त हुईं। यह देख कर सत्राजित ने वह मणि उन्हीं को अर्पण कर दी। इससे श्रीकृष्ण पर लगा कलंक दूर हो गया।  

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स्यमन्तक मणि मंत्र | Shamantakamani Mantra

सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।

जिन्हें संस्कृत का कम ज्ञान हो वह हिन्दी में इस प्रकार बोलें...
मंत्रार्थ- सिंह ने प्रसेन को मारा और सिंह को जाम्बवान ने मारा। हे सुकुमारक बालक तू मत रोवे, तेरी ही यह स्यमन्तक मणि है।

इस मंत्र के प्रभाव से कलंक नहीं लगता है। जो मनुष्य झूठे आरोप-प्रत्यारोप में फंस जाए, वह इस मंत्र को जपकर आरोप मुक्त हो सकता है।

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